विशेष सूचना एवं निवेदन:

मीडिया से जुड़े बन्धुओं सादर नमस्कार ! यदि आपको मेरी कोई भी लिखित सामग्री, लेख अथवा जानकारी पसन्द आती है और आप उसे अपने समाचार पत्र, पत्रिका, टी.वी., वेबसाईटस, रिसर्च पेपर अथवा अन्य कहीं भी इस्तेमाल करना चाहते हैं तो सम्पर्क करें :rajeshtitoli@gmail.com अथवा मोबाईल नं. 09416629889. अथवा (RAJESH KASHYAP, Freelance Journalist, H.No. 1229, Near Shiva Temple, V.& P.O. Titoli, Distt. Rohtak (Haryana)-124005) पर जरूर प्रेषित करें। धन्यवाद।

बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

प्रगतिपथ पर निरन्तर अग्रसित हरियाणा

1 नवम्बर/स्थापना दिवस विशेष

प्रगतिपथ पर निरन्तर अग्रसित हरियाणा

-राजेश कश्यप


संविधान के सातवें संशोधन द्वारा भारतवर्ष के सत्रहवें राज्य के रूप में हरियाणा प्रदेश का उदय मंगलवार, 1 नवम्बर, 1966 को हुआ। अलग राज्य बनने से पहले यह पंजाब का ही भाग था। अस्तित्व में आने के बाद हरियाणा प्रदेश ने हर क्षेत्र में बेहद उल्लेखनीय प्रगति की है और विकास के मामले में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अस्तित्व के समय हरियाणा प्रदेश की जनसंख्या 1 करोड़ 29 लाख थी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस समय प्रदेश की जनसंख्या 2 करोड़, 53 लाख है। हरियाणा प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 44,212 वर्गकिलोमीटर है, जोकि भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.34 प्रतिशत है।
सर्वविद्यित है कि हरियाणा प्रदेश कृषि प्रधान रहा है। हरियाणा ने कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में बड़ी तेजी से उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय विकास किया है। वर्ष 1966 में राज्य के गठन के समय खाद्यान्नों का उत्पादन 25 लाख 92 हजार टन था, जोकि वर्ष 2010-11 में बढ़कर 166.29 लाख टन तक पहुँच गया। राष्ट्र को खाद्यान्न भण्डार में योगदान देने में हरियाणा प्रदेश को दूसरा स्थान हासिल है। पशुधन के मामले में हरियाणा प्रदेश ने विश्व में अपना डंका बजाया हैं। इस प्रदेश की मुर्राह नस्ल भैंस विश्वविख्यात हो चुकी हैं। मुर्राह नस्ल की भैंस को अधिकतम दूध देने का गौरव हासिल हो चुका है। मत्स्य पालन में वर्ष 2010-11 में प्रति इकाई देशभर में हरियाणा को दूसरा स्थान हासिल हुआ है।
हरियाणा प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्ष 2012-13 के लिए बजट में शिक्षा के लिए 8245.58 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इस समय प्रदेश के उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 10 लाख 45 हजार 118 विद्यार्थी शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। हरियाणा के गठन के समय वर्ष 1966 में मात्र 6 बहुतकनीकी संस्थान और एक इंजीनियरिंग संस्थान था, जिनमें दाखिला लेने की वार्षिक क्षमता 1341 विद्यार्थियों की थी। जबकि, वर्ष 2011 में इन संस्थानों की संख्या बढ़कर 640 और विद्यार्थियों की वार्षिक दाखिला क्षमता बढ़कर 1 लाख 42 हजार 226 विद्यार्थियों की हो चुकी है। रचनात्मक कलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए रोहतक में फैशन डिजायन, फिल्म एवं टेलीविजन और फाईन आर्ट्स के राज्य संस्थान स्थापित किए जा चुके हैं। हरियाणा प्रदेश बहुत जल्द विधि विश्वविद्यालय और उच्चतर शिक्षा हब का सम्मान हासिल करने के लिए बड़ी तेजी से अग्रसित हो चुका है। राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय सोनीपत जिले के कुण्डली में राजीव गांधी एजुकेशन सीटी में स्थापित करने के लिए विधेयक-2012 पास किया जा चुका है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश मंे कुल 7 विश्वविद्यालय थे, जोकि अब बढ़कर 23 हो गए हैं। महेन्द्रगढ़ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय और खानपुर कलां, सोनीपत में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। गुड़गांव जिले में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी और हिसार में पशु चिकित्सालय विश्वविद्यालय खोला गया है। खानपुर कलां (सोनीपत), मेवात, फरीदाबाद और करनाल में मैडीकल कॉलेज खोले जा रहे हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में हरियाणा ने बड़ी तेजी से उन्नति की है। इस समय हरियाणा में तीन नए मैडीकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है। इनमें मेवात जिले में नल्हड़ मैडीकल कॉलेज, करनाल में कल्पना चावला मैडीकल कॉलेज और झज्जर के बाढ़सा में एम्स-दो शामिल है। इससे पूर्व रोहतक मंे पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की जा चुकी है। इसके साथ ही हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर वाहनों की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। इनके अलावा, राज्य में एंडवांस लाईफ स्पोर्ट सिस्टम एंबुलेंस सुविधा भी शुरू की गई है, जोकि दिनरात सेवा में तत्पर रहती है। निश्चित तौरपर इन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में हरियाणा प्रदेश की अभूतपूर्व उपलब्धि कहा जा सकता है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र प्रदेश की प्राथमिक सूची में शामिल है, जिसके चलते वर्ष 2012-13 के लिए रिकार्ड़  1656.03 करोड़ रूपये की धनराशि आवंटित की है।
हरियाणा में वर्ष 2005-06 में मातृ-मृत्यु दर 186 थी, जोकि घटकर 153 रह चुकी है। वर्ष 2002 में शिशु मृत्यु दर 1000 के मुकाबले 61 थी, जोकि वर्ष 2010 के आते-आते 48 ही रह गई है। इस समय प्रदेश में आर्थिक पैकेज के तहत 1500 करोड़ रूपये की स्वास्थ्य परियोजनाओं पर काम चल रहा है। पीएनडीटी एक्ट का सख्ती से लागू करने के परिणामस्वरूप प्रदेश के लिंगानुपात में भी सुधार आया है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश का अनुपात 877 था, जोकि जून, 2012 में घटकर 844 रह गया है। पीएनडीटी अधिनियम के तहत अब तक 25 चिकित्सकों को सजा दी जा चुकी है और 377 अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों का पंजीकरण निलंबित/रद्द किया जा चुका है। इसके साथ ही 177 अल्ट्रासाउण्ड मशीनें पकड़ी जा चुकी हैं। कन्या-भ्रण हत्या को रोकने में उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय पहल करने वाले जीन्द जिले के बीबीपुर गाँव की पंचायत को एक करोड़ रूपये की धनराशि से सम्मानित किया गया है।
हरियाणा ने खेलों के क्षेत्र में भी अपना परचम फहराया है। वर्ष 2012 के लन्दन ओलम्पिक खेलों में भारत ने कुल छह पदक जीते, जिनमें से चार पदक हरियाणा के होनहार खिलाड़ियों ने अपने नाम किए। वर्ष 2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों मंे भी हरियाणा के खिलाड़ियों ने तीन में से दो पदक अपने नाम किए थे। इस समय हरियाणा में दो राज्य स्तरीय स्टेडियम, 21 जिला स्तरीय स्टेडियम व 221 छोटे स्टेडियम हैं। इसके साथ ही 226 नए ब्लॉक स्तरीय स्टेडियमों का निर्माण होने वाला है। सरकार द्वारा चालू वित्तवर्ष के दौरान खेल बजट को बढ़ाकर तीन गुना यानि 107 करोड़ किया जा चुका है। हरियाणा सरकार की खेल नीति ‘पदक लाओ, पद पाओ’ के तहत वर्ष 2005 से लेकर अब तक 424 खिलाड़ियों को योग्यतानुसार नौकरियां भी दी चुकी हैं। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को पदो ंके साथ-साथ भारी धनराशि से भी पुरस्कृत किया जा रहा है। लन्दन ओलम्पिक विजेता खिलाड़ियो को करोड़ों रूपये की धनराशि एवं उपहार हरियाणा सरकार ने दिल खोलकर दिए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 2016 में रियोल (ब्राजील) में होने वाले ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को 5 करोड़ रूपये, रजत पदक विजेता को 3 करोड़ रूपये और कांस्य पदक विजेता को 2 करोड़ रूपये की धनराशि देने की घोषणा की है। हरियाणा सरकार की खेल एवं शारीरिक योग्यता परीक्षण (स्पैट) योजना के तहत नए होनहार खिलाड़ियों को खोजने व उन्हें आगे बढ़ाने में बेहद कामयाब हो रही है।
 हरियाणा प्रदेश में सड़क एवं परिवार के क्षेत्र में बेहद प्रगति की है। हरियाणा के निर्माण के समय वर्ष 1966 में कुल 475 बसें ही थीं, जोकि वर्ष 2012 में बढ़कर 3490 हो गई हैं। परिवहन के बेड़े में बहुत जल्द 4000 नई बसें शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार के सहयोग से हरियाणा प्रदेश दिल्ली की मैट्रो से जुड़ने जा रहा है। दिल्ली-मैट्रो का विस्तार फरीदाबाद तक और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे मैट्रो स्टेशन से गुड़गाँव तक और मुंडका (दिल्ली) से बहादुरगढ़ तक किया जा रहा है।
हरियाणा ने आर्थिक क्षेत्र में खूब तरक्की की है। एक त्वरित अनुमान के अनुसार प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2010-11 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है और प्रदेश में औद्योगिक उत्पाद की औसत वृद्धि दर 7.9 रही है। वर्तमान प्रचलित दरों पर वर्ष 1999-2000 में  राज्य सकल घरेलू उत्पाद 51 हजार 375 करोड़ रूपये था, जोकि वर्ष 2011-12 में बढ़कर 3 लाख, 9 हजार 326 करोड़ रूपये हो गया। इसमें 500 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी हरियाणा प्रदेश ने बाजी मारी है। प्रचलित मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय 370 प्रतिशत से अधिक बढ़कर, 1 लाख, 9 हजार 227 रूपये हो गई है। इससे पूर्व वर्ष 1999-2000 में यह मात्र 23 हजार 222 रूपये ही थी। योजना आयोग के अनुसार पिछले पाँच वर्षों की हरियाणा की औसत विकास दर 11.6 प्रतिशत है, जोकि राष्ट्रीय विकास दर 8.2 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
हरियाणा में बिजली उपभोक्ताओं को वर्ष 2004-05 में जहां प्रतिदिन 578 लाख यूनिट बिजली दी जा रही थी, वहीं वर्ष 2011-12 में  प्रतिदिन 1009 लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति दी जा रही है। वर्ष 204-05 के दौरान कृषि क्षेत्र को 291 लाख यूनिट प्रतिदिन बिजली दी जा रही थी, वहीं वर्ष 2011-12 में इसे बढ़ाकर 394 लाख यूनिट प्रतिदिन कर दिया गया है। वर्ष 2011-12 में हरियाणा में स्वयं द्वारा उत्पादित बिजली बढ़कर 4390.5 मेगावॉट तक पहुंच चुकी है। जबकि, वर्ष 2004-05 में यह मात्र 1587.7 मेगावाट ही थी। हरियाणा बहुत जल्द बिजली के मामले में पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर राज्य बनने वाला है।
हरियाणा ने वाणिज्य एवं उद्योग में भी बड़ी उल्लेखनीय प्रगति की है। निवेशकों की नजर में हरियाणा प्रदेश सबसे पसन्दीदा प्रदेश बना है। हरियाणा में वर्ष 2005 के दौरान कुल 59 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ था, वहीं इस समय यह निवेश लगभग 96 हजार करोड़ के आंकड़े को छूने को बेताब है। हरियाणा प्रदेश की नवीन औद्योगिक नीति ने अप्रत्याशित परिणाम देने शुरू कर दिये हैं। इस नीति के तरत प्रदेश भर में नये औद्योगिक मॉडर टाऊनशिप (आईएमटी) स्थापित किये जा रहे हैं। गत सात वर्षों के दौरान 108 बड़े और मध्य स्तर के उद्योग एवं 14336 लघु स्तर के उद्योग लगे हैं।
कुल मिलाकर, हरियाणा प्रदेश नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जिसे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहा जा रहा है। हाल ही में हावर्ड बिजनेस स्कूल से सम्बद्ध इंस्टीच्यूट ऑफ कम्पेटिटिवनैस (आईएफसी) ने ‘आईएफसी-मिंट स्टेट कम्पेटिटिवनैस अवार्ड-2012’ के लिए हरियाणा प्रदेश का चयन किया है। नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय ग्रीन डिजायन-2012 के सम्मेलन में हरियाणा अक्षय उर्जा विभाग और हरेडा को ‘एग्जेम्पलरी डेमोंस्ट्रेशन ऑफ इंटीग्रेशन ऑफ सोलर पैसिब फीजर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। हरियाणा लोकनिर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग को केन्द्र सरकार की निर्माण उद्योगिक विकास परिषद द्वारा ‘विश्वकर्मा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। दी फैडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने हरियाणा प्रदेश को ‘वर्ष 2012 का सर्वोत्कृष्ट खेल राज्य’ पुरस्कार से नवाजा। एनडीटीवी ने खेल प्रोत्साहन के क्षेत्र में हरियाणा को सर्वोत्कृष्ट राज्य का सम्मान दिया। उर्जा नवीनीकरण एवं संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा हरियाणा प्रदेश को वर्ष 2010-11 के लिए दूसरे पुरस्कार से सम्मानित किया। सभी क्षेत्रों में विकास के लिए हरियाणा को ‘फायनेंसियल इनक्लूजन अवार्ड-2012’ से सम्मानित किया गया है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक हैं।)   


सम्पर्क सूत्र :
राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
म.नं. 1229, पाना नं. 8, नजदीक शिव मन्दिर,
गाँव टिटौली, जिला. रोहतक
हरियाणा-124005
मोबाईल. नं. 09416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com, rkk100@rediffmail.com

(लेखक परिचय: हिन्दी और पत्रकारिता एवं जनसंचार में द्वय स्नातकोत्तर। दो दशक से सक्रिय समाजसेवा व स्वतंत्र लेखन जारी। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में दो हजार से अधिक लेख एवं समीक्षाएं प्रकाशित। आधा दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। दर्जनों वार्ताएं, परिसंवाद, बातचीत, नाटक एवं नाटिकाएं आकाशवाणी रोहतक केन्द्र से प्रसारित। कई विशिष्ट सम्मान एवं पुरस्कार हासिल।)


सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

राजेश कश्यप ‘दैनिक भास्कर ग्रीन आईडल अवार्ड-2012’ से सम्मानित

राजेश कश्यप  ‘दैनिक भास्कर ग्रीन आईडल अवार्ड-2012’ से सम्मानित
युवा समाजसेवी राजेश कश्यप को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए देश के प्रतिष्ठित दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह ने ‘दैनिक भास्कर ग्रीन आईडल-2012’ की व्यक्तिगत श्रेणी में सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि राजेश कश्यप जिला रोहतक के गाँव टिटौली के स्थायी निवासी हैं और पिछले बारह वर्षों से रचनात्मक लेखन एवं सक्रिय समाजसेवा में संलग्नरत हैं। उन्हें दर्जनभर प्रतिष्ठित सम्मान हासिल हो चुके हैं। राजेश कश्यप पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ कन्या-भ्रूण हत्या रोकने, महिला सशक्तिकरण, बालिका शिक्षा, जल-संरक्षण, गरीबोत्थान, युवा जागरूकता, दहेज प्रथा उन्मूलन, बढ़ते लिंगानुपात पर नियन्त्रण करने, बढ़ती जनसंख्या पर काबू पाने, वृद्धों के सम्मान, सामाजिक भातृ-भावना बढ़ाने, सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़ियों को मिटाने, अपनी सभ्यता, संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को बढ़ाने आदि कई महत्वपूर्ण विषयों पर काम करते आ रहे हैं।

शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

आखिर कब रूकेगा बलात्कारों का यह अनवरत शर्मनाक सिलसिला?

आखिर कब रूकेगा बलात्कारों का यह अनवरत शर्मनाक सिलसिला?
-राजेश कश्यप

    हरियाणा में बलात्कारों का अंतहीन सिलसिला राष्ट्रीय सुर्खियों में है। इस शर्मनाक सिलसिले को रोकने के लिए दिए जा रहे सुझाव भी राष्ट्रीय सुर्खियों है। इन दोनों ही मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर भारी निंदा और थू-थू हो रही है। एक माह में एक बाद एक दो दर्जन से अधिक नाबालिग युवतियों व विवाहित महिलाओं के साथ दुष्मर्म की घटनाएं घटना और पुलिस पर लापरवाह व संवेदनहीन बने रहने के आरोप लगना निःसन्देह हरियाणा की भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार के लिए बेहद शर्म का विषय है। इसके साथ ही सबसे बड़ा शर्म का विषय यह भी रहा कि बलात्कार की इन घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा की खापों ने जो उपाय सुझाये और जिस तरह विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अपने वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए जिस तरह तत्काल खापों के सुर में सुर मिलाया, वे न केवल गैर-कानूनी हैं, बल्कि अनैतिक व असामाजिक भी हैं।
    बलात्कारों के इस अंतहीन सिलसिले ने कई सुलगते सवाल पैदा किए हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर इस शर्मनाक सिलसिले को रोकने में हरियाणा की कांग्रेस सरकार सफल क्यों नहीं हो पा रही है? लगभग सभी मामलों में पुलिस पर भारी लापरवाही और ढ़िलाई के आरोप लगे हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री खामोश क्यों हैं? वे सिर्फ कानून अपना काम करेगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, जैसा रटा-रटाया जुमला ही जुबान पर क्यों रखे हुए हैं? क्या उन्हंे अपनी इस प्रचलित शैली को बदलने की आवश्यकता नहीं है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष फूलचंद मुलाना और शिक्षा व समाज कल्याण मंत्री श्रीमती गीता भुक्कल द्वारा इन बलात्कारों के पीछे विपक्षी लोगों का हाथ बताना, क्या गैर-जिम्मेदाराना और हास्यास्पद आचरण नहीं कहा जाएगा? सरकार के इन आरोपों के जवाब में विपक्ष स्पष्ट कह चुका है कि सरकार दोषी विपक्ष के लोगों के नाम उजागर करे तो फिर प्रदेश सरकार क्यों खामोश है? यदि सरकार को लगता है कि ये बलात्कार विपक्षी नेता जान बुझकर कर रहे हैं तो फिर ऐसे लोगों का पर्दाफाश क्यों नहीं कर रही है? यदि विपक्ष पर लगाए इल्जाम झूठे हैं तो फिर ऐसी ओछी हरकत क्यों की जा रही है?
    9 सितम्बर से लेकर 9 अक्तूबर तक एक दर्जन से अधिक बलात्कार के मामलों के बाद कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने हरियाणा का दौरा किया और जीन्द जिले के सच्चा खेड़ा गाँव में एक पीड़ित दलित परिवार को ढ़ांढ़स बंधाया और सांत्वना दी। इस दलित परिवार की एक नाबालिग युवती से 6 अक्तूबर को दो पड़ौसी युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना से आहत युवती ने मिट्टी का तेल छिड़कर आग लगा ली। युवती 95 फीसदी झुलस गई। उसे आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरांे ने बीपीएल कार्ड व अन्य कागजातों के बिना ईलाज करने से मना कर दिया। घटना से बदहवाश परिवार को ये कागजात उपलब्ध करवाने में कथित तौरपर लगभग चालीस मिनट लग गए। इतनी देर बाद शुरू हुए इलाज को कोई फायदा नहीं हुआ और युवती दम तोड़ गई। इस घटनाक्रम से भी कई सुलगते सवाल खड़े होते हैं। क्या सचमुच हस्पताल के डॉक्टर इस हद तक संवेदनहीन हो चुके हैं कि वे कागजों के अभाव में तड़पते मरीज का इलाज करने से मुंह मोड़ लें? इस तरह का व्यवहार करने वाले हस्पताल प्रशासन पर जिला प्रशासन और सरकार द्वारा स्वयं संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
सच्चा खेड़ा बलात्कार प्रकरण पर हस्पताल प्रशासन ही नहीं कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी का सहानुभूति जताने गाँव में पहुंचना भी कई गंभीर सवाल पैदा करता है। आखिर, क्यों श्रीमती गांधी केवल सच्चा खेड़ा के दलित परिवार को ही ढ़ांढ़स बंधवाकर दिल्ली लौट गईं? क्या यह सिर्फ दलित समुदाय की सहानुभूति बटोरने के लिए ही ड्रामा रचा गया? वे बलात्कार का शिकार हुई अन्य बिरादरियों की युवतियों व उनके परिवारों को ढ़ांढ़स बंधवाने क्यों नहीं पहुंची? क्या उन्हें दलित और एक सामान्य बिरादरी की इज्जत में कोई अंतर नजर आता है? यदि नहीं तो फिर वे अन्य जगहों पर क्यों नहीं गईं? क्या उनके दिल में सच्चे अर्थों में बलात्कार पीड़िताओं और परिवारों के प्रति हमदर्दी थी? यदि हाँ तो फिर उन्होंने प्रदेश सरकार की खिंचाई करने की बजाय उसका बचाव यह कहते हुए क्यों किया कि बलात्कार की घटनाएं तो देशभर में हो रही हैं, यहां कोई नई घटना नहीं है? यदि उन्हें ऐसी घटनाएं सामान्य लगती हैं तो फिर वे सच्चा खेड़ा गाँव किस मकसद से पहुंची? उनके इस बयान का कितना गहरा विपरीत असर पड़ा, क्या इसका उन्हें तनिक भी अहसास है?
योगगुरू बाबा रामदेव द्वारा उठाए गए सवाल कि यदि उनकी स्वयं की बेटी के साथ बलात्कार हुआ होता तो क्या तब भी वे इसी प्रकार का बयान देंती, पर पूरी कांग्रेस सरकार क्यों तिलमिला गई? बाबा रामदेव ने ऐसा कहकर कौन सा गुनाह कर दिया? उन्होंने कड़वा सच ही तो कहा था? बाबा रामदेव के प्रत्युत्तर में कांग्रेस की वरिष्ठ केन्द्रीय महिला मंत्री का यह कहना कि वह इतना क्यों संवेदनशील हो रहे हैं? उनकीं कौन सी बेटी है? क्या इस तरह का प्रत्युत्तर किसी को शोभा देता है? लालू प्रसाद यादव ने भी बाबा रामदेव के इस सवाल के जवाब में अत्यन्त गैर-जिम्मेदाराना और आपत्तिजनक बयान दिया। क्या इन सब जनप्रतिनिधियों को आम आदमी की बहू-बेटी के प्रति कोई सम्मान नहीं है? क्या उनकी नजर में आम युवती व महिला की कोई इज्जत नहीं होती? क्या सिर्फ नेताओं की बहू-बेटियों के ही इज्जत लगी हुई है? सबसे बड़ी विडंबना का विषय है कि एक महिला राजनेनियां होकर भी संवेदना शून्य होकर बलात्कार मामलों में अनैतिक, असैमाजिक व गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां की गईं। आखिर, एक महिला होकर भी वह दूसरी महिला के दर्द को क्यों नहीं महसूस कर पा रही हैं?
यह भी बेहद विडम्बना का विषय है कि इन बलात्कार की घटनाओं को सिर्फ जाति के नजरिए से देखा जा रहा है। दलित के नाम पर ही बलात्कारों को सुर्खियां मिलती हैं, ऐसा क्यों? अन्य बिरादरी में घटी बलात्कार की घटनाओं को भी बराबर महत्व क्यांे नहीं दिया जाता? दलित युवकों द्वारा किए गए बलात्कारों में जाति का उल्लेख क्यों नहीं होता है? क्या यह सब दलितों के वोट बैंक के लिए होता है? यदि हाँ तो निश्चित तौरपर इससे बढ़कर इंसानियत व लोकतंत्र के लिए शर्म का विषय नहीं हो सकता है। आखिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि हर जाति-समुदाय की बहन-बेटी की इज्जत समान होती है और किसी भी बलात्कारी व दुष्कर्मी की कोई जाति नहीं होती है। मायावती ने महारैली के जरिये दलितों पर अत्याचार व बलात्कार के नजरिए से हरियाणा प्रदेश को अपराध प्रदेश की संज्ञा दी। क्या वे अपने पिछले कार्यकाल को भूल गईं, जब उनकीं नाक के नीचे भी दलित युवतियों व महिलाओं के साथ बलात्कार व हत्याओं का एक लंबा सिलसिला चला था और जवाब में उन्होंने एकदम गैर-जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा था कि उनसे अधिक तो दिल्ली में बलात्कार होते हैं। ऐसे में क्या उन्हें इस तरह की संज्ञा देना शोभा देता है?
बलात्कारों के इस शर्मनाक अंतहीन सिलसिले पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा की कुख्यात खाप पंचायतों ने सुझाव दिया कि लड़कियों की शादी 15 वर्ष की उम्र में कर देनी चाहिए। क्या इससे अधिक दिमागी दिवालिएपन की अन्य कोई मिसाल हो सकती है? क्या पाँच-छह वर्ष की मासूम बच्चियों  और शादीशुदा महिलाओं के साथ बलात्कार नहीं होते हैं? ऐसे में 15 साल की उम्र में लड़की की शादी करने से बलात्कारों पर कैसे अंकुश लगेगा? कमाल की बात है कि यही खाप वाले जब कोई परिपक्व और कानून के दायरे में रहकर आपसी सहमति से शादी कर लेते हैं तो उनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं और सामाजिक बहिष्कार व गाँव निकाला जैसी भयंकर सजाएं तक दे डालते हैं। लेकिन, वे बलात्कारियों को इस तरह की सजा सुनाने की स्वप्न में भी सोचते हैं। आखिर खापों का यह दोगलापन क्यो है? यदि खापें बलात्कार जैसा कुकर्म व दरिन्दगी भरा खेल खेलने वाले लोगों को गाँव, जिला व प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश छोड़ने का आदेश भी दें तो क्या किसी तरह का कोई सामाजिक विरोध होगा? बिल्कुल नहीं, उल्टे उनके इस फैसले का स्वागत होगा।
खापों के साथ-साथ विपक्षी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला द्वारा मामले को भुनाने और कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए विवेकहीनता का परिचय देते हुए खापों द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र घटाकर 15 वर्ष करने के सुझावों पर सहमति देना, वास्तव में राजनीतिक गिरावट का आखिरी पायदान कहा जाना चाहिए। खाप नेताओं को खुश करने और अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए एक धुरन्धर नेता द्वारा इस तरह की विवेकहीनता का परिचय देना, बेहद विडम्बना का विषय है। बलात्कार के मामलों में प्रदेश की कांग्रेस सरकार की निन्दा चरम है और दूसरी तरफ उसी के मंत्री गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर स्वयं विवादों को आमंत्रित कर रहे हैं और अपने दिमागी दिवालिएपन का ढ़िंढ़ोरा पीट रहे हैं। फूलचन्द मुलाना और श्रीमती गीता भुक्कल के बाद अब हिसार कांग्रेस के जिला प्रवक्ता धर्मबीर गोयत ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि 90 फीसदी बलात्कार आपसी सहमती से होते हैं। क्या इस तरह का बयान जले पर नमक छिड़कने के समान नहीं है? क्या इस तरह के नेताओं को बलात्कार की टीस का जरा भी अहसास है? इसके साथ ही राज्य महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा बलात्कार के मामलों में ढ़ूलमूल रवैया और सरकार को सख्त कार्यवाही करने की मांग करने जैसी औपचारिकता पूरी करने की प्रवृति भी बेहद अफसोसजनक है। ये महिला आयोग कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं और अपने आकाओं के इशारों पर ही हिलडुल रहे हैं, जोकि देशी की आधी आबादी के साथ सरासर धोखा और विश्वासघात है।
बलात्कार को किसी राजनीतिक अथवा जातिगत या फिर साम्प्रदायिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से एक चुनौती के रूप में लेने की आवश्यकता है। इस दरिन्दगी भरे खेल के खात्मे के लिए सार्थक बहस और विचार-मन्थन होना चाहिए। यह कहने की आवश्यकता ही नहीं है कि बलात्कारियों को सबक सिखाने के लिए बेहद सख्त कानून बनाने और उसे अमल में लाने की कड़ी आवश्यकता है। इसके अलावा पुलिस द्वारा ऐसे संवेदनशील मामलों में सुस्ती बरते जाने की प्रवृति का तत्काल निराकरण करने की भी आवश्यकता है। इसके साथ ही हमंे ऐसी सामाजिक संरचना तैयार करनी होगी, जिसके तहत बलात्कारी अपने ही परिवार, मोहल्ले, गाँव, शहर, जाति व समुदाय से स्वतः ही बहिष्कृत हो जाए और उसके सलाखों के पीछे पहुंचने में कोई भी सहायक न बने। यदि इस तरह के उपाय यथाशीघ्र नहीं किए गए तो देश में लैंगिक असमानता बेकाबू हो जाएगी और हमारे लिए अभिशाप बन जाएगी।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक हैं।)   

 हरियाणा में बलात्कार का सिलसिला

9 सितम्बर    : किसार के गाँव डाबड़ा में दलित युवती को 12 लोगों ने बनाया हवस का शिकार। पुलिस  द्वारा कार्यवाही ने करने पर दुःखी होकर पिता ने की खुदकुशी।
21 सितम्बर     : जीन्द के पिल्लूखेड़ा में परिजनों को बंधक बनाकर विवाहिता से बलात्कार किया और  एमएमएस भी बनाया।
26 सितम्बर    : गोहाना में दुकान पर सामान लेने गई ग्यारहवीं की छात्रा के साथ गोदाम में चार लोगों  द्वारा सामूहिक बलात्कार।
: पानीपत के चांदनी बाग में किशोरी से दुष्कर्म।
29 सितम्बर     : भिवानी के सांडवा में आठवीं की छात्रा को अगुवा करके बलात्कार किया।
2 अक्तूबर     : रोहतक के कच्चीगढ़ी मोहल्ले में 15 वर्षीय किशोरी को तीन युवकों ने अगवा करके सामूहिक दुष्कर्म किया।
        : नरवाना में मंदबुद्धि दलित महिला के साथ बलात्कार।
3 अक्तूबर     : रोहतक के शास्त्रीनगर कालोनी में 11 साल की बच्ची से पड़ौसी ने किया दुष्कर्म।
        : करनाल के घरौण्डा कस्बे के गाँव में शादी का झांसा देकर युवती से बलात्कार।:  गोहाना के बनवासा गाँव में एक विवाहिता के साथ खेतों में चार युवकों द्वारा सामूहिक  बलात्कार।
यमुनानगर के बिजौली गाँव में खेत से घर लौट रही 15 वर्षीय लड़की से दो युवकों द्वारा  बलात्कार।
5 अक्तूबर    : पानीपत में महिला के साथ दुष्कर्म।
6 अक्तूबर    : नरवाना के सच्चाखेड़ा में नाबालिग दलित युवती के साथ दो युवकों द्वारा सामूहिक  बलात्कार। पीड़िता ने मिट्टी का तेल डालकर लगाई आग। 95 फीसदी जली। अस्पताल  में दम तोड़ा।
7 अक्तूबर    : पानीपत में 13 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म।
9 अक्तूबर    : कैथल जिले की कलायत बस्ती से एक दलित लड़की का अपहरण करके दो लोगों ने  किया बलात्कार।
करनाल के बीजना गाँव में एक नाबालिग दलित लड़की को अगुवा करके दो युवकों ने  किया बलात्कार।    
फरीदाबाद में नौकरानी को मकान मालिक ने बनाया अपनी हवश का शिकार।
10 अक्तूबर    : करनाल में आठवीं कक्षा की छात्रा से सामूहिक बलात्कार।
        : साढ़ौरा में लिफ्ट के बहाने पड़ौसी द्वारा नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म।
        : यमुनानगर में दो युवकों द्वारा घर में घुसकर नाबालिग युवती के साथ बलात्कार का
       मामला सामने आया।
    : हिसार जिले के गंगवा गाँव की 12 साल की किशोरी का अपहरण के बाद बलात्कार।
    : मंडी अटेली में एमएमएस से डराकर एक युवती के साथ बलात्कार।
    : अंबाला की एक विवाहिता ने पति के दोस्त पर अपहरण कर 21 माह तक बलात्कार का आरोप लगाया।
11 अक्तूबर    : भूना में एक विवाहिता से सास की मदद से पति व देवर द्वारा सामूहिक बलात्कार।
        : मूंदड़ा में एक विवाहिता से रिवाल्वर की नोक पर लगातार ग्यारह माह से चल रहे  बलात्कार का मामला उजागर।
बल्लभगढ़ में एक पुलिस के एक एएसआई द्वारा महिला से दुष्कर्म।
गुड़गाँव में छह वर्षीय बालिका से दो युवकों द्वारा सामूहिक बलात्कार।
रोहतक में दोस्ती के बहाने पाँच युवकों ने युवती से किया सामूहिक दुष्कर्म।
13 अक्तूबर    : यमुनानगर के गुंदियाना गाँव की महिला का तीन युवकों पर एक सप्ताह से बलात्कार का आरोप।
14 अक्तूबर    : फरीदाबाद में स्कूल की नाबालिग बच्ची से महीनों बलात्कार का मामला उजागर। पीड़िता के साथ उसकी  दो बहनों को भी स्कूल प्रबन्धन ने बाहर निकाला।
15 अक्तूबर    : जीन्द में सैनी रामलीला ग्राऊण्ड से दुष्कर्म के बाद फेंकी गई अपहृत 5 वर्षीया बच्ची घायलावस्था में मिली।

16 अक्तूबर    :  रोहतक के घड़ौठी गाँव में 4 बच्चों की माँ के साथ दो रिश्तेदारों ने किया सामूहिक बलात्कार।
  फरीदाबाद के गुरूकुल क्षेत्र में पिता द्वारा अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ सालों दुष्कर्म करने का मामला।

स्थायी सम्पर्क सूत्र:
राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
म.नं. 1229, पाना नं. 8, नजदीक शिव मन्दिर,
गाँव टिटौली, जिला. रोहतक
हरियाणा-124005
मोबाईल. नं. 09416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com, rkk100@rediffmail.com

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

‘सामाजिक सद्भावना-सम्मान समारोह’ आयोजित

‘सामाजिक सद्भावना-सम्मान समारोह’ की हुई जमकर सराहना


हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक द्वारा 7 अक्तूबर, 2012 को चौधरी छोटूराम धर्मशाला, रोहतक के केन्द्रीय हॉल में आयोजित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता सभा के सरपरस्त बलजीत सिंह मतौरिया ने की। समारोह के मुख्य अतिथि प्रधान देशराज कश्यप, कार्यकारी प्रधान सुन्दर सिंह कश्यप थे और विशिष्ट अतिथि चेयरमैन प्रेम सिंह एडवोकेट, डा. राम सिंह, अजमेर सिंह कश्यप, शिवचरण सिंह कश्यप आदि थे। समारोह का सफल संचालन जिला रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने किया।



इस समारोह की मुख्य तीन गतिविधियां रखी गई थीं:
1.    ‘हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक’ की कार्यकारिणी के तीन वर्ष पूरे होने पर सभी सदस्यों और समाज के विकास में सहयोग करने वालों को सम्मानित किया गया।

2.    सभा के तीन वर्ष (वर्ष 2009-12) के दौरान ‘हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक’ के कार्यों की समीक्षा की गई।

3.    सामाजिक जागरूकता और नई कार्यकारिणी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।

‘‘शिक्षा, संगठन और संघर्ष समाज के विकास के मूल मंत्र हैं। इनके बिना समाज उन्नति नहीं कर सकता। हमंे इन मूल मंत्रों को अपनाना होगा। हरियाणा कश्यप समाज की रोहतक इकाई ने अपने तीन साल के दौरान बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। जिला प्रधान राजेश कश्यप की सामाजिक सेवाओं और योग्यताओं को देखते हुए उन्हें प्रदेश स्तर पर किसी सम्मानित पद के लिए चुना जाना चाहिए। नई कार्यकारिणी के चुनाव के लिए प्रदेश स्तर पर बहुत जल्द एक मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें आगामी चुनावों के बारे में रणनीति तय की जाएगी।’’
-श्री बलजीत सिंह मतौरिया, सरपरस्त, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा।


‘‘समाज को अपने स्वाभिमान, मूल पहचान और अधिकारों एवं कर्त्तव्यों को पहचानना चाहिए। इस समय प्रदेश में कश्यप समाज के मतदाताओं की संख्या सात लाख से अधिक है। यदि हम सब एकजूट होकर संघर्ष करंे तो हमारा समाज किसी भी मायने में पीछे नहीं रह सकता। जिला प्रधान राजेश कश्यप व उसकी टीम ने वास्तव में बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। वह बधाई की पात्र है।’’
-श्री देशराज कश्यप, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा।


‘‘हम अपने हकों को हासिल करने के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं और भविष्य में भी डटकर संघर्ष किया जाएगा।’’
-श्री सुन्दर सिंह कश्यप, कार्यकारी प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा।


‘‘समाज को उदासीन होने की बजाए पूरे जोश के साथ आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए उसे अपने लक्ष्य को निर्धारित करने और एकजूट होकर उसे हासिल करने की आवश्यकता है।’’
-एडवोकेट प्रेम सिंह, चेयरमैन, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा।


‘‘समाज को गरीब बच्चों को शिक्षा का हक दिलाने के अभियान से जुड़ने के लिए आगे आना चाहिए।’’
-श्री सतबीर सिंह एडवोकेट, संयोजक, दो जमा पाँच मुद्दे।


‘‘हमने समाज विकास के लिए एक नई शुरूआत की है। समाज को संगठित करने और जागरूक करने का अभियान जारी रहेगा। हम सब समाज के विकास के लिए अथक कोशिश करते रहेंगे। जितना भी और जिस रूप में भी हुआ, हम हमेशा समाज की सेवा करते रहेंगे।’’
-राजेश कश्यप, प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक।


‘‘हमें शिक्षा पर जोर देना होगा। शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। हमें लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी बराबर शिक्षित करना होगा।’’
-डा. राम सिंह, प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, करनाल।


‘‘रोहतक के जिला प्रधान राजेश कश्यप का कार्य बेहद सराहनीय है। हमें इसी तरह मिलकर आगे बढ़ना चाहिए। एकता में ही सफलता है।’’
-श्री जयराम कश्यप, प्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र।


‘‘सामाजिक सद्भावना सम्मान-समारोह के आयोजन के लिए मैं जिला प्रधान राजेश कश्यप को बधाई देता हूँ। हम सबको इसी तरह काम करना चाहिए।’’
-श्री अजमेर सिंह कश्यप, उपप्रधान, हरियाणा कश्यप राजपूत धर्मशाला, कुरूक्षेत्र।


‘‘राजेश कश्यप के नेतृत्व में कश्यप समाज ने जो विकास किया है, वह काबिले तारीफ है। उनकी समाज के प्रति निष्ठा, लगन और समर्पित भावना अत्यन्त सराहनीय है। हम सब कश्यप समाज के सहयोगी हैं और जब भी हमें कश्यप समाज याद करेगा, हम सबसे आगे हाजिर मिलेंगे।’’
-डा. गजानंद वर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी, हरियाणा।


‘‘महर्षि कश्यप जी सृष्टि के सृजक थे। हम सब उनकीं ही संतानें हैं। महर्षि जी की जीवन व विचारधारा को जिला प्रधान राजेश कश्यप ने घर-घर तक पहुंचाने का बेहद सराहनीय कार्य किया है। हमें अपने पूर्वजों और ऋषि-मुनियों को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।’’
-महाशय सूरजभान सांगी, वरिष्ठ समाजसेवी एवं प्रधान धानक समाज।


‘‘छत्तीस बिरादरी को साथ लेकर चलने और वरिष्ठ समाजसेवियों को सम्मानित करने के लिए हम जिला प्रधान राजेश कश्यप का आभार प्रकट करते हैं और इस अनूठी सोच के लिए उन्हें बधाई देते हैं। यदि इसी तरह सब बिरादरियों मिलकर चलें तो निश्चित तौरपर हर कदम पर सफलता हासिल हो सकती है। इस सामाजिक एकता एवं सौहार्द के लिए प्रधान राजेश कश्यप की जितनी भी तारीफ की जाए बेहद कम है।’’
-पं. तेजराम भारद्वाज, वरिष्ठ समाजसेवी एवं रोहतक जिला अध्यक्ष, भाजपा।


समारोह को संबोधित करने वाले अन्य प्रमुख समाजसेवीः

समारोह में जिला रोहतक के प्रधान राजेश कश्यप ने अपने तीन वर्षीय कार्यकाल का लेखाजोखा रखा और ‘एक नई शुरूआत’ नामक सामाजिक जागरूकता संदेश-पत्र भी जारी किया।

इस संदेश पत्र को पढ़ने के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक को क्लीक करें:


(नोट: यह संदेश-पत्र पुस्तक रूप में खुलेगा। आप संदेश पत्र के नीचे दाएं व बांए तिकोने निशान पर क्लिक करके एक के बाद एक सभी पेज देख सकते हैं और पढ़ सकते हैं।)


    इस अवसर पर रोहताश सिंह, महेन्द्र सिंह, करतार सिंह, डा. राम सिंह, अजमेर सिंह, जयराम, ईश्वर सिंह, अजय, मनोज, पवन, जगबीर, रामलाल, सत्यवान, करतार सिंह, मुकेश कश्यप, प्रवीण, विष्णु कश्यप, सुरेश, जयभगवान, कृष्ण चन्द्र, रामेश्वर, अन्नू, अमित, प्रेम, विकास रोहिल्ला मनोहर लाल चांदीवाल आदि गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थिति थे।

कैमरे की नजर में.....

मुख्य अतिथियों और विशिष्ट अतिथियों का फूल-मालाओं से सम्मान


































हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के पदाधिकारियांे और समाजसेवियों का सम्मान


































(नोट: हम रोहतक के युवा समाजसेवी श्री विकास रोहिल्ला और श्री मनोज कश्यप के अत्यन्त आभारी हैं कि उन्होंने इस समारोह के फोटों खींचे और कश्यप समाज को उपलब्ध करवाए। उन्होंने यह सेवा निःशुल्क दी है। इसके लिए हम पुनः श्री विकास रोहिल्ला जी एवं श्री मनोज कश्यप जी का आभार व्यक्त करते हैं।)


मीडिया की नजर में....

इस समारोह से संबंधित लगभग सभी समाचार पत्रों ने अपना प्रकाशनीय सहयोग दिया है। इसके लिए हम पूरा कश्यप समाज उनका अत्यन्त आभारी है। हम ‘आज समाज’, ‘दैनिक हरिभूमि’ और ‘पंजाब केसरी’ के रोहतक जिला प्रभारियों का विशेष तौरपर आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने फोटो सहित इस समारोह का समाचार प्रकाशित किया। समाचारों की कटिंग्स अवलोकन के लिए प्रस्तुत हैं: