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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

सावधान! कोरोना का संकट टला नहीं है!!

मुद्दा/

सावधान! कोरोना का संकट टला नहीं है!!
-राजेश कश्यप

देश में आगामी तीन मई तक लॉकडाउन जारी रहेगा। लेकिन, 20 अप्रैल से हॉटस्पॉट यानी डेंजर जॉन को छोडक़र बाकी जगहों पर अति आवश्यक कार्यों के लिए सशर्त छूट दी जा रही है। अगर जनता ने शर्तों का पालन नहीं किया और स्थिति पेचीदा होने की संभावना नजर आई तो यह छूट तत्काल प्रभाव से सरकार द्वारा वापिस भी ली जा सकती है। लेकिन, विडम्बना का विषय है कि जिसका डर था, वहीं बात हो रही है। लॉकडाउन के बावजूद देश के कोने-कोने से सोशल डिस्टेंस तोडऩे के समाचार मिल रहे हैं। कई जगहों पर लोग बेवजह घरों से बाहर निकल रहे हैं। कानून तोडऩे वालों पर सख्ती भी बरती जा रही है और केस भी दर्ज किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, लोगों की लापरवाहियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। निश्चित तौरपर लोगों की ये सब लापरवाहियां पूरे देश के लिए घातक साबित होने वाली हैं।  

देशवासियों ने अब तक जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर अपील का पूरी गम्भीरता और निष्ठा के साथ अनुसरण किया, उससे उम्मीदें बंधी थी कि लॉकडाउन के दौरान दी गई सशर्त छूट और तीन मई को लॉकडाउन समाप्ति के उपरांत जनता जागरूकता का परिचय देगी और कोई भी ऐसी लापरवाही नहीं बरतेगी, जिससे कोरोना महामारी अनियंत्रित होकर देश के लिए महाघातक सिद्ध हो। लेकिन, जिस तरह से कुछ असामाजिक तत्वों की घोर अनैतिक, गैर-कानूनी और गैर-जिम्मेदाराना हरकतें सामने आई हैं और आ रही हैं, उससे कई तरह की विकट परिस्थितियों के पैदा होने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

देशभर से मिल रहे समाचारों के मुताबिक लॉकडाउन के बावजूद व्यापक स्तर पर लापरवाहियां और गैर-जिम्मेदारियां देखने को मिल रही हैं, जोकि सबसे बड़ी चिंता और चुनौती का विषय है, क्योंकि यदि सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन इतने व्यापक स्तर पर होता रहा और कोरोना के प्रति कोताही बरती जा रही तो सब किए धरे पर पानी फिर सकता है। कोरोना के केस आने बन्द नहीं हुए हैं। यदि जल्द ही लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाहियों पर अंकुश नहीं लगा तो स्थिति एकदम उलटी हो सकती है। हम जहां कोरोना की कमर तोडऩे की तरफ अग्रसर हैं, वहीं हमारी लापरवाहियों की बदौलत कोरोना हमारे देश की कमर बुरी तरह तोड़ सकता है। 

सर्वविद्यित है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त कौशल नेतृत्व और दूरदृष्टिता ने भारत में कोरोना को कहर बरपाने का कोई मौका नहीं दिया है। अगर अब कोई चूक, लापरवाही व गैर-जिम्मेदारी सामने आई तो सब प्रयासों और उपलब्धियों पर पानी फिर सकता है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि प्रधानमंत्री की कोशिशों को कामयाब बनाने के लिए देशवासियों ने तन-मन-धन से अपना सहयोग दिया है, अनेक विकट समस्याओं व कष्टों को झेला है और कोरोना सेनानियों ने असीम त्याग और बलिदान दिया है। देश को असीम आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। यदि इन सब पर कोई असामाजिक तत्व पानी फेरने का दु:साहस करे तो क्या यह राष्ट्रद्रोह का अपराध नहीं माना जाना चाहिए? देश बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। ऐसे समय में देश व देश का कानून (संविधान) सर्वोच्च है। उससे खिलवाड़ करने की किसी को तनिक भी इजाजत नहीं दी जा सकती। 

लॉकडाउन के दौरान छूट व लॉकडाउन समाप्त होने के बाद हर स्तर पर सावधानी की आवश्यकता है। हमें कदापि नहीं भूलना है कि अभी तक कोरोना के कहर का खतरा बरकरार है। इस समय सबसे बड़ी चुनौती का विषय है लॉकडाउन समाप्ति के बाद मुंह पर मास्क के साथ सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) का पूर्ण रूप से पालन करना और स्वच्छता (सेनेटाईजेशन) पर जोर देना। यह वो अभेद्य दीवार है, जिसे कोविड-19 बिल्कुल भी भेद नहीं सकता और यही वह अचूक मूल मंत्र है, जो कोरोना के कहर से हमें बचा सकता है। इसलिए, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना होगा और सरकार व प्रशासन द्वारा दी जाने वाली हिदायतों का पूरी ईमानदारी से पालन करना होगा।

अगर इस नाजूक दौर में किसी भी स्तर पर कोई भी लापरवाही हुई तो कहने की आवश्यकता नहीं है कि देश व देशवासियों को कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है? यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी (यूएनयू) की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोरोना सबसे खराब स्थिति में पहुंचा तो भारत में 10.40 करोड़ नए लोग गरीबी की रेखा से नीचे चले जाएंगे। इस समय विश्व बैंक के आय मानकों के अनुसार भारत में लगभग 81.2 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे हैं, जोकि देश की कुल आबादी का 60 फीसदी है। यदि देश में कोरोना का कहर हद से आगे बढ़ा तो देश में गरीबों की संख्या बढक़र 91.5 करोड़ हो जायेगी, जोकि देश की कुल आबादी का 68 फीसदी होगा।  

कुल मिलाकर, लॉकडाउन में छूट के दौरान और लॉकडाउन समाप्ति के उपरांत अत्यन्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया को अपनी रचनात्मक और सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना होगा। राजनीतिक स्तर पर संकीर्ण सोच का परित्याग करके अपना संवैधानिक दायित्व निभाना बेहद जरूरी है। समाज में साम्प्रदायिक जहर भरने वालों और अफवाह एवं नफरत फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर तत्काल कानूनी नकेल डालनी होगी। कोरोना की जंग में जनता को तन-मन-धन से अपना योगदान देना होगा। सबसे बड़ी बात, कोरोना की कमर तोडऩे के लिए हमें हर स्तर पर लापरवाहियों से बचना ही होगा। 

(राजेश कश्यप)
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
टिटौली (रोहतक)
हरियाणा-124005
मोबाईल/वाट्सअप नं.: 9416629889
email : rajeshtitoli@gmail.com

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

‘पृथ्वी दिवस’ पर ‘पृथ्वी’ से जुड़े रोचक तथ्य

‘पृथ्वी दिवस’ पर ‘पृथ्वी’ से जुड़े रोचक तथ्य
-राजेश कश्यप 


1. प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में ‘पृथ्वी दिवस’ मनाया जाता है।

2. ‘पृथ्वी’ अथवा ‘पृथिवी’ एक संस्कृत शब्द हैं जिसका अर्थ ‘एक विशाल धरा‘ होता है। अन्य भाषाओ इसे जैसे- अंग्रेजी में अर्थ और लातिन भाषा में टेरा कहा जाता है।

3. ‘पृथ्वी दिवस’ शब्द जुलियन कोनिंग 1969 ने दिया था।

4. 22 अप्रैल को जुलियन कोनिंग का जन्मदिन होता था। उसके अनुसार ‘बर्थ डे’ से मिलता जुलता है ‘अर्थ डे’ है। इसीलिए, उन्होंने 22 अप्रैल को ‘अर्थ डे’ मनाने का सुझाव दिया था।

5. 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने की शुरूआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी।

6. वर्ष 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी देखकर गेलार्ड नेल्सन इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर इसकी शुरुआत करने का निर्णय लिया।

7. पृथ्वी दिवस वर्ष 1990 से इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।

8. पृथ्वी के 40 प्रतिशत हिस्से पर सिर्फ छह देश हैं।

9. पृथ्वी पर सोना इतनी मात्रा में है कि यह डेढ़ फीट की गहराई तक इसे ढ़क सकता है।

10. पृथ्वी को 97 प्रतिशत पानी खारा है और मात्र 3 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है।

11. पृथ्वी पर 99 फीसदी प्राणी महासागरों में से हैं।

12. पृथ्वी की आकृति अंडाकार है। घुमाव के कारण, पृथ्वी भौगोलिक अक्ष में चिपटा हुआ और भूमध्य रेखा के आसपास उभार लिया हुआ प्रतीत होता है।

13. भूमध्य रेखा पर पृथ्वी का व्यास, अक्ष-से-अक्ष के व्यास से 43 किलोमीटर (27 मील) ज्यादा बड़ा है। 

14. पृथ्वी का औसत व्यास 12,742 किलोमीटर (7, 918 मील) है। 

15. पृथ्वी की रचना में निम्नलिखित तत्वों का योगदान है। 

16. 34.6 प्रतिशत आयरन, 29.5 प्रतिशत आक्सीजन, 15.2 प्रतिशत सिलिकन, 12.7 प्रतिशत मैग्नेशियम, 2.4 प्रतिशत निकेल,  1.9 प्रतिशत सल्फर, 0.05 प्रतिशत टाइटेनियम, शेष अन्य।

17. पृथ्वी के वातावरण मे 77 प्रतिशत नायट्रोजन, 21 प्रतिशत आक्सीजन, और कुछ मात्रा मे आर्गन, कार्बन डाय आक्साईड और जल वाष्प है।

18. पृथ्वी के वायुमंडल की कोई निश्चित सीमा नहीं है, यह आकाश की ओर धीरे-धीरे पतला होता जाता है और बाह्य अंतरिक्ष में लुप्त हो जाता है।

19. सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी की परिक्रमण अवधि (सौर दिन) 86,400 सेकेंड (86,400.0025 एसआई सेकंड) का होता है।

20. पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है। 

21. पृथ्वी के 11 प्रतिशत हिस्से का उपयोग भोजन उत्पादन करने में होता है।

22. पृथ्वी अपनी धुरी पर 1600 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से घूम रही है और सूर्य के इर्द-गिर्द 29 किलोमीटर प्रति सेकिण्ड की रफ्तार से चक्कर लगा रही है।

23. पृथ्वी पर हर स्थान पर गुरूत्वाकर्षण एक जैसा नहीं है।

24. समुद्र के जरिये पृथ्वी का चक्कर लगाने में पुर्तगाल के नाविक फर्डिलेंड मैगलन ने वर्ष 1519 से 1521 के बीच अपनी अपने दल के साथ कामयाबी हासिल की थी। 

25. सौरमण्डल में पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है, जहां तीनों अवस्थाएं ठोस, तरल और गैस मौजूद है।

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

एनसीआरटी की पाठ्य पुस्तकें केवल एक क्लिक पर!

एनसीआरटी की पाठ्य पुस्तकें केवल एक क्लिक पर!

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्य पुस्तकें नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके डाऊनलोड करें। इस लिंक पर एक पीडीएफ फाईल मिलेगी, जिसमें कक्षा के विषय के अनुसार पुस्तकों के लिंक दिए गए हैं। इन लिंक्स पर क्लिक करके आसानी से कोई भी पुस्तक डाऊनलोड की जा सकती है।




मैं सभी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

-राजेश कश्यप
टिटौली (रोहतक)
मोबाईल/वाट्सअप नं.: 9416629889

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की पाँचवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तकें डाऊनलोड करें

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की पाँचवीं कक्षा की पाठ्य पुस्तकें डाऊनलोड करें

इस समय कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। आगामी 15 मई, 2020 तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया गया है। इस दौरान हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को परीक्षा के बिना ही अगली कक्षा में शामिल कर लिया है। इस समय नई कक्षा में बच्चों को घर पर ही पढ़ाई करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्हें नई पाठ्य पुस्तकों का अभाव भी झेलना पड़ रहा है। मेरी बिटिया स्वाति कश्यप पाँचवीं कक्षा में पहुंच गई है। इसलिए उसकीं सुविधा के लिए मैंने काफी कोशिशों के बाद कक्षा पाँच की पाठ्यपुस्तकों की पीडीएफ फाईल ढ़ूंढ़ निकाली हैं। पाँचवीं कक्षा के अन्य बच्चों को भी घर बैठे इन पाठ्य पुस्तकों का लाभ मिल सके। इसी नेक उद्देश्य के लिए इन पाठ्य पुस्तकों की पीडीएफ फाईल सांझा कर रहा हूँ। पाँचवीं कक्षा के सभी बच्चे इन पुस्तकों के फोटो अथवा पुस्तक के नामों पर क्लिक करके डाऊनलोड कर लें और नियमित रूप से अपनी पढ़ाई करें। 

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मैं सभी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

-राजेश कश्यप
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