‘दर्द अपनों के’
आदरणीय मित्रो ! हमारा परम सौभाग्य है कि विद्वान लेखक श्री हेमचन्द्र मलिक (गोल्डमैडलिस्ट), सेवानिवृत प्रिंसिपल, गाँव खरावड़ ने अपने गीतों को इस ब्लॉग पर डालने और आप सब तक पहुँचाने की अनुमति सहर्ष दी है। श्री मलिक का इसके लिए एक ही मूल मकसद है कि सब लोग उनकीं रचनाओं को सुनें और उनमें समाहित शिक्षाओं पर अमल करें और समाज में उनका व्यापक प्रचार-प्रसार करें। अतः श्री हेमचन्द्र मलिक की कलम से निकले हुए शिक्षाप्रद गीत आप सबकी सेवा में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ये गीत ‘दर्द अपनों के’ नामक सीडी द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं। इसके साथ ही हम श्री हेमचन्द्र मलिक जी का भी तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हैं।
‘दर्द अपनों के’
2. गीत नं. 1: रोहतक जिले में छोटा सा
3. गीत नं. 2: धन दौलत तै बड़ी जगत में
4. गीत नं 3: बिना ज्ञान के सब कुछ दीखै काला
5. गीत नं. 4: लालच में अपमान छुपा रहै
6. गीत नं 5: के बुझोगे मन की
7. गीत नं 6: खेता में गेहूँ काटूं थी
8. गीत नं 7: तेरी सरकार का रूल छोटू
9. गीत नं 8: विवेकानन्द से हुए युगदृष्टा
10. गीत नं 9: तुझे अवतार कहूँ या ज्ञानी
11. गीत नं 10: ज्ञान के कारण भारत का
गीतों के रचियता: श्री हेमचन्द्र मलिक (गोल्डमैडलिस्ट)
श्री हेमचन्द्र मलिक का संक्षिप्त जीवन-परिचय