धूम्रपान पूरे विश्व में तांडव कर रहा है। एक अध्ययन के मुताबिक विश्व में लगभग डेढ़ अरब लोग धूम्रपान करते हैं। एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग 36 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें 20.3 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। धूम्रपान के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। यदि विशेषज्ञों की शोध रिपोर्टों और धूम्रपान एवं तम्बाकू के कुप्रभावों का आकलन किया जाए तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि विश्व में हर 8 सेकिण्ड में धूम्रपान की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में धूम्रपान के का कारण वैश्विक स्तर पर 76.9 लाख लोगों को अकाल मौत का शिकार होना पड़ा था। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि दुनिया के हर पांचवें व्यक्ति की मौत के लिए कहीं न कहीं धूम्रपान के कारण होती है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इन धूम्रपान करने वालों के सम्पर्क में रहने के कारण प्रतिवर्ष धूम्रपान न करने वाले 6 लाख अतिरिक्त व्यक्ति भी काल की भेंट चढ़ जाते हैं।
वर्ष 2050 तक धूम्रपान धारण कर लेगा विकराल रूप !
विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2030 तक तम्बाकू सेवन से होने वाली मृत्यु की संख्या बढ़कर 80 लाख प्रतिवर्ष हो जाएगी। दूसरी ओर एक ब्रिटिश शोधकर्ता डॉ. जान मूरेगिलान के अनुसार वर्ष 2050 तक धूम्रपान के कारण होने वाली बिमारियों से मरने वालों की संख्या 4 करोड़ तक पहुंच जाएगी। मई, 2021 में अंतर्राष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में धूम्रपान से प्रतिवर्ष 10 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस आंकड़े में पिछले 30 वर्षों में 58.9 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है। जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 13.5 लाख लोगों की अकाल मौत तम्बाकू और सिगरेट के सेवन करने से होती हैं। एक अनुमान के अनुसार धूम्रपान के कारण होने वाले कैंसर से कुल 5.35 लाख लोगों की मौतें प्रतिवर्ष हो रही हैं, जिनमें 30 से 69 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 3.95 लाख है। इनमें 42 प्रतिशत पुरूष और 18 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। तम्बाकू के कारण सिर, मुंह और गले के 30 फीसदी टूयूमर होने का अनुमान भी लगाया गया है।
भारत में वर्ष 2030 तक हो जायेगी भयावह स्थिति !
एक अन्य अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत में तम्बाकू से होने वाले कैंसर के कारण मरने वालों की संख्या एक करोड़ 15 लाख को पार कर जाएगी। देश में धूम्रपान के कारण 50 प्रतिशत पुरूष और 20 प्रतिशत महिला कैंसर का शिकार हैं। 90 प्रतिशत मुंह का कैंसर, 90 प्रतिशत फेफड़े का कैंसर और 77 प्रतिशत नली का कैंसर धूम्रपान सेवन करने से हुआ है। 45 लाख लोग दिल की बीमारी से ग्रसित हैं। देश में प्रतिवर्ष 1.5 लाख व्यक्ति धूम्रपान जन्य रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।
हुक्का सिगरेट से दस गुणा अधिक हानिकारक !
कई राज्यों में हुक्का पीना एक सामाजिक परंपरा बना हुआ है। बैठकों, सामाजिक कार्यक्रमों, पंचायतों और विशेष मौकों पर लोगों को हुक्का गुड़गुड़ाते आम तौरपर सहजता से देखा जा सकता है। हुक्के का सेवन करने वाले अधिकतर लोगों का मानना है कि हुक्के में पानी के जरिए तम्बाकू का धुंआ ठण्डा होकर शरीर में पहुंचता है। इसलिए हुक्के से तम्बाकू पीने पर हमें कोई नुकसान नहीं होता है। कुछ समय पहले जयपुर में हुए एक विशेष शोध में इस तथ्य का पता चला है कि हुक्के का सेवन सिगरेट से दस गुणा अधिक हानिकारक है। जयपुर एसएमएस अस्पताल मेडिकल कॉलेज और अस्थमा भवन की टीम की रिसर्च के मुताबिक हुक्का और चिलम भी बेहद घातक है और इसे छोड़ देने में ही भलाई है, क्योंकि हुक्के में कार्बन मोनोक्साइड सिगरेट की तुलना में ज्यादा घातक है। बेहद चौंकाने वाली बात यह है कि हरियाणा में हुक्के की परंपरा के नाम पर शहरों में बड़ी संख्या में हुक्का बार खोले गए हैं। इन हुक्का बारों में जहरीला तम्बाकू प्रयोग किया जाता है। इन हुक्का बारों में इलैक्ट्रिक हुक्के में तम्बाकू के बीच निकोटिन 0.3 से 0.5 प्रतिशत तक बढ़ाकर दिया जाता है। खासकर युवा पीढ़ी में इसका घातक असर देखने को मिला है।
धूम्रपान लाता है नपुंसकता !
तम्बाकू में निकोटिन के अलावा कार्बन मोनोक्साइड, मार्श गैस, अमोनिया, कोलोडॉन, पापरीडिन, कोर्बोलिक ऐसिड, परफैरोल, ऐजालिन सायनोजोन, फॉस्फोरल प्रोटिक एसिड आदि कई घातक विषैले व हानिकारक तत्व पाए जाते हैं। कार्बन मोनोक्साइड से दिल की बीमारी, दमा व अंधेपन की समस्या पैदा होती है। मार्श गैस से शक्तिहीनता और नपुंसकता आती है। अमोनिया से पाचन शक्ति मन्द व पित्ताशय विकृत हो जाता है। कोलोडॉन स्नायु दुर्बलता व सिरदर्द पैदा करता है। पापरीडिन से आँखों में खुसकी व अजीर्ण की समस्या पैदा होती है। कोर्बोलिक ऐसिड अनिद्रा, चिड़चिड़ापन व भूलने की समस्या को जन्म देता है। परफैरोल से दांत पीले, मैले और कमजोर हो जाते हैं। ऐजालिन सायनोजोन कई तरह के रक्त विकार पैदा करता है। फॉस्टोरल प्रोटिक ऐसिड से उदासी, टी.बी., खांसी व थकान जैसी समस्याओं का जन्म होता है।
धूम्रपान असाध्य बिमारियों की जड़!
धूम्रपान करने वालों में जीभ, मुंह, श्वांस, फेफडों का कैंसर, क्रानिक बोंकाइटिस, दमा, टीबी, रक्त कोशिकावरोध जैसी अनेक व्याधियां पैदा हो जाती हैं। भारत में मुंह, जीभ, ऊपरी श्वांस तथा भोजन नली (नेजोरिंक्स) का कैंसर पूरे विश्व की तुलना में अधिक पाया जाता है। तम्बाकू में विद्यमान कार्सिनोर्जिनिक्र एक दर्जन से भी अधिक हाइड्रोकार्बन्स जीवकोशों की सामान्य क्षमता को नष्ट कर उन्हें गलत दिशा में बढ़ने के लिए विवश कर देते हैं, जिसकी परिणति कैंसर की गांठ के रूप में होती है। भारत में किए गए अनुसंधानों से पता चला है कि गालों में होने वाले कैंसर का मुख्य कारण खैनी अथवा जीभ के नीचे रखनी जाने वाली व चबाने वाली तम्बाकू है। इसी प्रकार गले के ऊपरी भाग में, जीभ में और पीठ में होने वाला कैंसर बीड़ी पीने से होता है। सिगरेट से गले के निचले भाग में कैंसर होना पाया जाता है। इसी से अंतडियों का भी कैंसर संभव हो जाता है।
धूम्रपान के रूप में निकोटिन का जहर !
सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात है कि एक पौण्ड तम्बाकू में निकोटीन नामक जहर की मात्रा लगभग 22.8 ग्राम होती है। इसकी 1/3800 गुनी मात्रा (6 मिलीग्राम) एक कुत्ते को तीन मिनट में मार देती है। ‘प्रेक्टिशनर’ पत्रिका के मुताबिक कैंसर से मरने वालों की संख्या 112 प्रति लाख उनकी है, जो धूम्रपान करते हैं। सिगरेट-बीड़ी पनीने से मृत्यु संख्या, न पीने वालों की अपेक्षा 50 से 60 वर्ष की आयु वाले वयक्तियों में 65 प्रतिशत अधिक होती है। यह संख्या 60 से 70 वर्ष की आयु में बढ़कर 102 प्रतिशत हो जाती है।
धूम्रपान से 40 प्रकार के कैंसर होने का खतरा !
जर्नल आर्काव्स ऑफ जनरल फिजिक्स के ऑन लाइन संस्करण के अनुसार धूम्रपान करने से दिमाग पर बेहद घातक असर होता है। खासकर 45 वर्ष की उम्र में अधिक होता है। कई विशेषज्ञों ने शोध के बाद दावा किया है कि तम्बाकू के कारण करीब 40 प्रकार के कैंसर होने का खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार धूम्रपान पुरूषों की तुलना में महिलाओं को त्वचा का कैंसर, गले का कैंसर और इसी तरह की घातक बिमारियां अधिक होती हैं। धूम्रपान करने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए तो धूम्रपान और भी घातक होता है। इससे गर्भपात का भयंकर खतरा बना रहता है। धूम्रपान से समय से पहले बच्चा पैदा हो सकता है और बच्चे के अन्दर रक्त कैंसर की संभावनाएं भी प्रबल रहती हैं। एक शोध रिपोर्ट के अनुसार धूम्रपान से महिलाओं को स्तन कैंसर होने का खतरा सामान्य महिलाओं के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक होता है।
जीवन से 5 मिनट आयु कम कर देती है एक सिगरेट !
चौंकाने वाला तथ्य यह है कि एक सिगरेट पीने से व्यक्ति की 5 मिनट आयु कम हो जाती है। 20 सिगरेट अथवा 15 बीड़ी पीने वाला एवं करीब 5 ग्राम सुरती, खैनी आदि के रूप में तम्बाकू प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपनी आयु को 10 वर्ष कम कर लेता है। इससे न केवल उम्र कम होती है, बल्कि शेष जीवन अनेक प्रकार के रोगों एवं व्याधियों से ग्रसित हो जाता है।
धम्रपान से छुटकारा पाने का अमोघ मंत्र !
यदि हमें एक स्वस्थ एवं खुशहाल जिन्दगी हासिल करनी है तो हमें धू्म्रपान एवं तम्बाकू का प्रयोग करना हर हालत में छोड़ना ही होगा। इसे स्वेच्छा से दृढ़ निश्चय करके ही छोड़ा जा सकता है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक हैं।)
राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
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लेखक परिचय : हिंदी और जनसंचार में द्वय स्नातकोत्तर। गत अढ़ाई दशक से समाजसेवा एवं प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए स्वतंत्र लेखन जारी। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक लेख एवं फीचर प्रकाशित। ब्लॉगर एवं स्तम्भकार। लगभग एक दर्जन पुस्तकों का लेखन एवं सहलेखन। दो दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित सम्मान एवं पुरस्कारों से अलंकृत।
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