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गुरुवार, 18 जून 2015

स्वर्गीय चांदराम : स्मृति शेष by -राजेश कश्यप

स्वर्गीय चांदराम : स्मृति शेष
-राजेश कश्यप
स्वर्गीय चांद राम
     पूर्व केन्द्रीय मंत्री, हरियाणा प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री और दलितों-पिछड़ों के दिग्गज व अग्रणीय नेता चौधरी चांद राम का 92 वर्ष की आयु में गत 15 जून, 2015, सोमवार की दोपहर बाद 3ः35 बजे पीजीआई रोहतक के लाला शामलाल सुपरस्पेशिलिटी वार्ड में हार्टअटैक से देहावसान हो गया। वे गुर्दे के रोग से पीड़ित थे। उन्हें सुबह 11 बजे डायलिसिस के लिए भर्ती करवाया गया था। जैसे ही उनके निधन का समाचार लोगों को मिला, चारों तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी। चौधरी चांदराम अपने पीछे अपनी पत्नी, दो पुत्र व चार पुत्रियों सहित भरापूरा परिवार छोड़कर गये हैं।
    चौधरी चांदराम का जन्म 24 जून, 1923 को झज्जर जिले के खरहर गाँव में हुआ था। पिता खेत जोतते थे। वे पहली बार वर्ष 1952 में संयुक्त पंजाब के विधायक बने। उस समय वे दलितों के मसीहा डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के बाद दूसरे ऐसे दलित नेता थे, जो स्नातकोत्तर (एमए) उत्तीर्ण थे। उन्होंने वर्ष 1945-47 की अवधि में लाहौर से ‘अर्थशास्त्र’ में एमए की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने वर्ष 1937 से 1945 तक जाट स्कूल व राजकीय कालेज से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और प्रथम स्थान हासिल किया था। वे मेधावी छात्र थे। उनकीं मेधा से प्रभावित होकर दीनबन्धु सर छोटूराम ने उन्हें वजीफा भी दिया था। उनसे वजीफा पाकर बालक चांदराम ने हर परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। चांदराम जी बचपन से ही चौधरी छोटू राम से प्रभावित थे। उन्हीं से प्रभावित होकर ही वे राजनीति में आये। 
    चौधरी चांदराम वर्ष 1948 में जिला वेलफेयर अफसर और डिस्ट्रीक्ट बोर्ड रोहतक के सदस्य बने। इसके उपरांत वे वर्ष 1950 से 1952 तक नगरपालिका रोहतक के ई.ओ. रहे। उस समय उनका वेतन 900 रूपये था। इसके बाद वे चुनावी राजनीति में कूद गए और दोहरी सदस्यता वाले झज्जर हल्के से वर्ष 1952 में विधायक का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्होंने भीमसेन सच्चर की वजारत में उपमन्त्री बनने से इंकार कर दिया। बाद में उन्होंने बाद में सच्चर के इस्तीफे के बाद सरदार प्रताप सिंह कैरों की वजारत में उपमंत्री बनना स्वीकार किया। वे वर्ष 1956 में 5 माह पूरे वजीर रहे। इसके बाद वर्ष 1958 से 1962 तक उपसभापति रहे। तदुपरांत, वर्ष 1962 में 6 माह राज्यमंत्री और वर्ष 1965-66 में 4 माह पूरे वजीर रहे।
    1 नवम्बर, 1966 को हरियाणा प्रदेश का निर्माण हुआ। संयुक्त पंजाब विधानसभा में चुने गए हरियाणा के नेताओं से मिलकर नई हरियाणा विधानसभा का गठन हुआ। पंडित भगवत दयाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार बनी। अगले वर्ष 1967 में हरियाणा प्रदेश विधानसभा के पहले चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को 46 सीटें मिलीं। उस समय चौधरी चांदराम कांग्रेस के नेता थे। उनके साथ चौधरी देवीलाल और चौधरी छोटूराम के भतीजे श्रीचन्द भी कांग्रेस पार्टी में ही शामिल थे। जब चौधरी चांदराम को पता चला कि चण्डीगढ़ में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें केबिनेट मंत्री नहीं बनाया जा रहा है तो वे तुरंत पंडित भगवत दयाल से मिले और दो टूक शब्दों में चेतावनी दे डाली कि, ‘‘यू ंतो राम-लछमण की जोड़ी टूट जायेगी।’’ इसके जवाब में पंडित भगवत दयाल शर्मा ने कहा कि, ‘‘चांदराम सब ग्रह दशा और नक्षत्रों का खेल है।’’ इस पर चौधरी चांदराम ने स्पष्ट तौर कह दिया कि ‘‘पंडित जी, अब अपने ग्रह देख लेना।’’
    जब 12 दिन बाद विधानसभा स्पीकर का चुनाव होना था तो चौधरी चांदराम सहित 17 कांग्रेसी विधायकों ने बगावत कर दी। इसके परिणामस्वरूप पंडित भगवत दयाल शर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। इस तरह चौधरी चांदराम प्रदेश के इतिहास में पहले ऐसे नेता के रूप में दर्ज हो गये, जिन्होंने कांग्रेस की सरकार को गिराया। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद राव बीरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के इन 17 कांग्रेसी नेताओं के सहयोग से अपने पिता राव इन्द्रजीत सिंह द्वारा बनाई गई ‘हरियाणा विशाल पार्टी’ के बैनर तले नई सरकार का गठन किया, जिसमें चौधरी चांदराम को प्रदेश के पहले उप-मुख्यमंत्री के पद से नवाजा गया। 
    मुख्यमंत्री राव बीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में सभी विधायकों ने लोटे में नमक डालकर शपथ ली थी कि वे पूंजीपति लोगों के घर कभी खाना नहीं खाएंगे। लेकिन, इस कसम को 249 दिन बाद स्वयं मुख्यमंत्री राव बीरेन्द्र सिंह ने यमुनानगर शुगर मिल के मालिक के घर खाना खाकर इस शपथ को तोड़ दिया। इसके खिलाफ श्रीमती इन्दिरा गांधी से परामर्श के बाद चौधरी चांदराम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और नवम्बर, 1967 में ही राव बीरेन्द्र सिंह की सरकार भी गिर गई। यह दौर प्रदेश की राजनीति में ‘आया राम गया राम’ के नाम से बेहद चर्चित रहा। प्रदेश की सरकार थोड़े-थोड़ समयांतराल के उपरांत ही गिर गईं, जिसमें चौधरी चांदराम की प्रमुख भूमिका रही।
    वर्ष 1967 के अंत में चौधरी चांदराम ने कांग्रेस छोड़कर चौधरी देवीलाल की पार्टी ‘हरियाणा लोकदल’ में शामिल हो गये। वे वर्ष 1977 तक रादौर-बाबैन से विधायक चुने जाते रहे। वर्ष 1977 में उन्हें जनता पार्टी का हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष चुना गया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 90 में से 76 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया और साथ ही चौधरी चांदराम का कद पार्टी में कई गुना बढ़ा दिया। इन चुनावों में चौधरी चांदराम ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए रिकार्ड़ 11 पिछड़ी जाति के लोगों को टिकट दिलवाईं। उन्होंने सिरसा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करके पहली बार 21.03.1977 को लोकसभा पहुंचे। चौधरी चांदराम की कद को देखते हुए जनता पार्टी ने उन्हें केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री बना दिया। वे 18 माह तक केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री पद पर पदासीन रहे। चौधरी चांदराम कुल मिलाकर 7 बार विधायक और एक बार सांसद बने।
    चौधरी चांदराम ने दलितों के उत्थान के लिए दिनरात एक कर दिया। उन्होंने दलितों को जमीनों में हिस्सेदारी भी दिलवाई। अपने विभिन्न कार्यकालों के दौरान दलितों को सरकारी व पंचायती जमीनों का आवंटन करवाने से लेकर उनके मकान बनाने तक के कार्य किये। उन्होंने दलितों के लिए डटकर संघर्ष किया। दलितों की एकता व अटूटता बनाने में चौधरी चांदराम काफी हद तक कामयाब रहे थे। दलितों के हकों की लड़ाई के लिए वे 1975 में जेल में भी गए। चौधरी चांदराम ने दलितों को शिक्षा और रोजगार के मामले में आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देहात में ‘ऊपर राम, नीचे चांदराम’ की लोकोक्ति प्रचलित हो उठी। चौधरी चांदराम ने शुरू से ही भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ आवाज उठाई और स्वयं भी उस पर अमल किया। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनके परिवार से राजनीति में न कोई है और न ही भविष्य में कोई आयेगा।
    चौधरी चांदराम एक उच्चकोटि के नेता, प्रखर प्रवक्ता, बुद्धिजीवी, उत्कृष्ट पत्रकार, विशिष्ट समाजसेवी, पराक्रमी और दूरदृष्टा थे। वे 1954 से ‘जागता इन्सान’ नामक साप्तिाहिक समाचार पत्र भी निकालते थे। इन समाचार-पत्रों में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों, विचारों और अभिलाषाओं को मूर्त रूप दिया। 
    चौधरी चांदराम एक दलित, पिछड़े, शोषित और बेसहारा की आवाज बने। क्योंकि वे उनके दुःख-दर्द और भावनाओं को बेहद गहराई से समझते थे। जीवन के अंतिम पड़ाव में भी उन्होंने दलितों व पिछड़ों को एक मंच पर लाने के अथक प्रयत्न किये। गत 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पूर्व ‘सुराज पार्टी’ का गठन भी किया और उसके संरक्षक के रूप में पार्टी के विधानसभा चुनावों में भाग लेने का ऐलान कर दिया। लेकिन, स्वास्थ्य कारणों के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। 
    चौधरी चांदराम ने अपने राजनीतिक कैरियर में कई दल बदले। इस समय वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके थे। उन्होंने दलितों व पिछड़ों को एक मंच पर लाने के लिए अपने 93वें जन्मदिन पर ‘सुशासन मंच’ स्थापित करने और दलितों-पिछड़ों के हकों की लड़ाई जमीनी स्तर पर लड़ने की घोषणा कर दी थी। इस कार्यक्रम की रूपरेखा 31 मई, 2015, रविवार को उनके आर्य नगर, रोहतक स्थित उनके निवास स्थान पर बुलाई गई एक उच्च स्तरीय सदस्यों की बैठक में तैयार की गई। इस बैठक में चौधरी चांदराम ने अपने भावी ‘सुशासन मंच’ के लिए जिन 11 सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव पास किया था और यह कार्यक्रम 28 जून को गुरू रविदास होस्टल, आर्य नगर, रोहतक में रखा गया था। लेकिन, इस कार्यक्रम के 13 दिन पहले ही चौधरी चांदराम इस दुनिया को अलविदा कह गए। परमपिता परमात्मा से याचना है कि वे उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। इस महान आत्मा को कोटि-कोटि प्रणाम। 
आर्य नगर रोहतक स्थित चौधरी चांदराम का आवास

स्वर्गीय चौधरी चांदराम: यादें
बेहद आत्मिक लगाव भरी मुलाकातें
    मुझे स्वर्गीय चौधरी चांदराम जी से कई बार मिलने का सौभाग्य मिला। वे हर बार गले लगाते और बड़ी आत्मियता से मिलते तो मैं बेहद भाव-विभोर हो उठता। हर जिज्ञासा को बेहद अनूठे व सहज भाव से शांत करना, अपने विजन और मिशन से अवगत करवाना, दलितों-पिछड़ों के कल्याण के लिए जमीनी स्तर पर लड़ने के लिए प्रेरित करना और पुरानी राजनीतिक यादों को जीवंत करना आदि सब चौधरी चांदराम की अनुपम विशेषता थी। उनमें तनिक भी किसी भी प्रकार का घमण्ड नहीं था। वे छोटे-बड़े व उम्र आदि के किसी भी भेद को नहीं मानते थे। मुझे उनकी बराबर में बैठकर आत्मिय चर्चा करने का परमसौभाग्य कई बार मिला। वे बेहद साधारण स्वभाव की असाधारण शख्सियत थे। जब मैं 5 वर्ष पूर्व उनके निवास स्थान पर 88वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने पहुंचा तो यह देखकर दंग रह गया कि उन्होंने बेहद साधारण ढ़ंग से जन्मदिन मनाना तय किया था। उन्होंने सिर्फ एक फूलमाला ही उपहार स्वरूप ग्रहण की थी और मुझे गले लगाकर असीम दुआएं और आशीर्वाद दिया था। उसके बाद काफी समय तक उन्होंने अपने साथ सोफे पर बैठाकर कई विषयों पर लंबी चर्चा की और अनेक चुटीली व रोमांचक बातें सांझा कीं। उन गौरवमयी ऐतिहासिक पलों को और चौधरी चांदराम की बेहद आत्मिक लगाव वाली मुलाकातों को मैं आजीवन भूला नहीं सकता। 
चौधरी चांदराम को 88वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए राजेश कश्यप 

चौधरी चांदराम के साथ गहन वार्तालाप करते हुए राजेश कश्यप

पुरानी यादों को राजेश कश्यप के साथ सांझा करते हुए चौधरी चांदराम
लाखनमाजरा में समाजसेवी मनजीत दहिया के घर पर चौधरी चांदराम के साथ राजेश कश्यप 

विशिष्ट अतिथि के रूप में...
विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधन करते हुए चौधरी चांदराम, साथ में खड़े हैं राजेश कश्यप 
    हरियाणा कश्यप राजपूत सभा, रोहतक के प्रधान के रूप में 18 जुलाई, 2010 को रोहतक जिले के महम में ‘सामाजिक सद्भावना एवं विकास महासम्मेलन’ का आयोजन किया जाना तय किया तो मैंने स्वर्गीय चौधरी चांदराम से महासम्मेलन में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होने का अनुरोध किया। मैं यह देखकर दंग रह गया कि चौधरी साहब ने इस अनुरोध को स्वीकार करने में एक मिनट भी नहीं लगाई। केवल इतना ही नहीं जब उन्होंने इस महासम्मेलन के उद्देश्यों के बारे में पूछा तो वे एकदम खुश हो गए और महासम्मेलन की कामयाबी के लिए अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं। 
चौधरी चांदराम जी बतौर विशिष्ट अतिथि ‘सामाजिक सद्भावना एवं विकास महासम्मेलन’ में पहुंचे और अपने सम्बोधन में दलितों व पिछड़ों को एकता का पाठ पढ़ाया। चौधरी चाँद राम ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक विकास के लिए शिक्षा पर जोर देना बहुत जरूरी है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वे एससी व बीसी का आरक्षण हर स्तर पर लागू करे, ताकि देश की ११३ दलित एवं पिछड़ी जाति का भला हो सके। उन्होंने अपने सम्बोधन के दौरान मंच पर मेरी तारीफों के पुल बांधकर मेरी अभूतपूर्व हौंसला अफजाई भी की।
महासम्मेलन में माला पहनाकर स्वागत करते वरिष्ठ समाजसेवी महेन्द्र सिंह कश्यप 

चौधरी चांदराम के साथ स्वागत प्रक्रिया के दौरान राजेश कश्यप

महासम्मेन के स्मृति-चिन्ह को स्वीकार करते हुए चौधरी चांदराम

अंतिम उच्च स्तरीय बैठक
उच्चस्तरीय बैठक लेते हुए चौधरी चांदराम
चौधरी चांदराम ने अपने जीवन की अंतिम उच्च स्तरीय बैठक दिनांक 31 मई, 2015 रविवार को प्रातः 11 बजे आर्य नगर, रोहतक स्थित अपने निवास स्थान पर बुलाई थी। इस बैठक की अध्यक्षता उन्होंने स्वयं की थी। इस बैठक का हिस्सा बनने का सौभाग्य मुझे भी मिला। चौधरी चांदराम ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में ‘सुराज मंच’ की योजना, स्थापना, उद्देश्य एवं रणनीति के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। बाद में इस बैठक में यह तय हुआ कि चौधरी चांदराम के 93वें जन्मदिवस के अवसर पर 28 जून, 2015 को गुरू रविदास होस्टल, आर्य नगर, रोहतक के प्रांगण में दलितों व पिछड़ों का एक विशाल सामाजिक महासम्मेलन आयोजित किया जायेगा। इस महासम्मेलन में चौधरी चांदराम द्वारा दलितों व पिछड़ों के हकों की आवाज उठाने के लिए ‘सुराज मंच’ बनाने की घोषणा किया जाना प्रस्ताव पारित किया जाना तय किया गया। इसके लिए चौधरी चांदराम ने एक 11 सदस्यीय कमेटी बनाने का सुझाव भी दिया और यह मेरा परमसौभाग्य रहा कि उन्होंने इस कमेटी में दो सदस्यों, मुझे (राजेश कश्यप) और दूसरे हरलाल जांगड़ा जी को विशेष तौरपर शामिल करने की सिफारिश की। (इस बैठक की विडियो क्लिपिंग के अंत में 25:14 मिनट पर आप भी सुन सकते हैं।)। निःसन्देह, स्वर्गीय चौधरी चांदराम जी का यह आत्मिक लगाव व आशीर्वाद मेरे लिए आजीवन अविस्मरणीय रहेगा।
बैठक को संबोधित करते हुए चौधरी चांदराम
उच्चस्तरीय बैठक की प्रति


अंतिम उच्चस्तरीय बैठक की वीडियो क्लिपिंग द्वारा राजेश कश्यप 

बैठक के उपरांत चौधरी चांदराम के साथ राजेश कश्यप
‘जागता इन्सान’ 
स्वर्गीय चौधरी चांदराम वर्ष 1954 से अपने संरक्षण में ‘नया समाज और कमाऊ का उत्तराधिकारी’ की टैगलाईन के साथ साप्ताहिक क्रांतिकारी समाचार-पत्र ‘जागता इन्सान’ निकालते थे। इस समाचार की प्रति को वे अपने आशीर्वाद स्वरूप मुझे जरूर भेजते थे। देखिए उनके आशीर्वाद स्वरूप एक प्रति:
साप्ताहिक क्रांतिकारी समाचार-पत्र ‘जागता इन्सान’

अंतिम यात्रा
    चौधरी चांदराम का अंतिम संस्कार 17 जून, 2015 की शाम को 5 बजे खोखराकोट स्थित शमशानघाट में राजकीय शोक के साथ मातमी धुन व बन्दुकों की सलामी के बीच किया गया। मुखाग्नि उनके सुपुत्र संजय ने दी। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केन्द्रीय मंत्री श्री बीरेन्द्र सिंह, रोहतक लोकसभा सांसद श्री दीपेन्द्र हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं दलित नेता डॉ. अशोक तंवर, हिसार लोकसभा सांसद दुष्यन्त चौटाला, रोहतक विधायक श्री मनीष ग्रोवर सहित सभी पार्टियों के नेता, वरिष्ठ समाजसेवी और हजारों गणमान्य लोग उपस्थित थे। 
चौधरी चांदराम की अंतिम यात्रा के हर लम्हें को मैंने अपने कैमरे में कैद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उनकीं इस अंतिम यात्रा, किसी पुण्य-यात्रा से कम महसूस नहीं होतीं। दलितों-पिछड़ों के दिग्गज व महापैरोकार स्वर्गीय चौधरी चांदराम की अंतिम यात्रा के महत्वपूर्ण लम्हें उस महान आत्मा को कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए खास तौरपर आपके लिए सादर प्रस्तुत कर रहा हूँ। 

स्वर्गीय चांदराम का अमर सन्देश व अंतिम आह्वान:

    चौधरी चांदराम ने अपने क्रांतिकारी समाचार पत्र ‘जागता इन्सान’ के अंतिम अंक में अपने दो लेखों के जरिये अपना अमर सन्देश दिया और समाज से आह्वान भी किया। उन्होंने इसे 31 मई, 2015 की उच्च स्तरीय बैठक में पढ़कर भी सुनाया। तब उन्हें क्या, किसी को भी यह आभास नहीं था कि ये उनके अंतिम शब्द सिद्ध होंगे। आप भी पढ़िये उनका अमर सन्देश एवं अंतिम आह्वान:-

स्वर्गीय चांदराम का अंतिम अमर सन्देश

स्वर्गीय चांदराम का अंतिम आह्वान:

कैमरे की जुबानी







































अंतिम यात्रा : जीवन्त दर्शन



श्रद्धांजलियां
श्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार

‘‘चौधरी चांदराम ने अपना पूरा जीवन गरीब व पिछड़े वर्ग के लोगों की भलाई के लिए लगा दिया। चौधरी चांदराम द्वारा समाजहित में किए गए कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। चौधरी चांदराम के निधन से उन्हें व्यक्तिगत रूप सं भी दुःख पहुंचा है। दुःख की इस घड़ी में भारतीय जनता पार्टी व राज्य सरकार उनके परिवार के साथ खड़ी है।’’
-श्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार।
चौधरी बीरेन्द्र सिंह, केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार

‘‘जब भी गरीबों पर अत्याचार हुआ तो चौधरी चांदराम अग्रिम पंक्ति मे ंखड़े हुए मिले। चौधरी चांदराम के साथ पारिवारिक संबंध रहे हैं और वे उनके सहयोग से ही अपना पहला चुनाव जीत पाने में सफल हुए थे।’’
-चौधरी बीरेन्द्र सिंह, केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार।
श्री दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस सांसद, रोहतक लोकसभा क्षेत्र

‘‘समाज ने आज महान नेता खो दिया। उन्होंने हमेशा कमजोर वर्ग के हितों की लड़ाई लड़ी, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।’’
-श्री दीपेन्द्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस सांसद, रोहतक लोकसभा क्षेत्र।
डॉ. अशोक तंवर, अध्यक्ष, हरियाणा कांग्रेस पार्टी

‘‘चौधरी चांदराम की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता। उनके निधन से देश के बहुत बड़े वर्ग को क्षति पहुंची है। उनके संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता।’’
-डॉ. अशोक तंवर, अध्यक्ष, हरियाणा कांग्रेस पार्टी।
श्री दुष्यन्त चौटाला, इनेलो सांसद, हिसार लोकसभा क्षेत्र

‘‘उनके जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है, उसे राजनीतिक रूप से कभी भरा नहीं जा सकता। वे एक मिलनसार व हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।’’
-श्री दुष्यन्त चौटाला, इनेलो सांसद, हिसार लोकसभा क्षेत्र।


प्रस्तुति: राजेश कश्यप (मोबाईल नंः 09416629889)



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