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सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

भारत में दहेज़ हत्या-राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने स्वीकार किया

भारत में दहेज़ हत्या
भारत के राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर पूर्णिमा आडवाणी ने स्वीकार किया है कि भारत में क़ानून को लागू कराने वाली संस्थाएँ दहेज संबंधी अपराधों से निबटने में गंभीरता से काम नहीं लेतीं.बीबीसी हिन्दी सेवा के कार्यक्रम "आपकी बात बीबीसी के साथ" में श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए डॉ. आडवाणी ने कहा कि दहेज विरोधी क़ानून बना ज़रूर लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात है उसका पालन कराना. उन्होंने बताया कि राज्यों में दहेज रोकने वाले अधिकारियों की नियुक्ति 1997-98 में कर दी गई थी, लेकिन बहुत-से मामलों में तहसील स्तर के इन अधिकारियों को इस सम्बन्ध में अपने कर्त्तव्यों की जानकारी तक नहीं है.
डॉक्टर पूर्णिमा आडवाणीडॉ। पूर्णिमा आडवाणी ने कहा कि पुलिस और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की बहुत ज़रूरत है. उन्होंने बताया कि इस विषय में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में जो पाठ्यक्रम लागू कराया जायेगा, वह तैयार कर लिया गया है. दहेज लेने और देने वाले दोनों अपराधी हैं, लेकिन डॉ. आडवाणी ने बताया लड़कियों के माता-पिता अपनी बड़ी लड़की को इसलिए दहेज देते हैं, ताकि उनकी छोटी लड़की का विवाह कहीं इस कारण रुक न जाए."आपकी बात बीबीसी के साथ" कार्यक्रम में निशा शर्मा नाम की उस लड़की ने भी हिस्सा लिया, जिसने अपनी होने वाली ससुराल के दहेज माँगने पर उस परिवार के लड़के से विवाह करने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि केवल क़ानून किसी समस्या को हल नहीं कर सकता, जब तक कि जो ग़लत है, लोगों को उसकी जानकारी न हो और वे सामने आकर उसका विरोध न करें.

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