हरियाणा के किसानों की दर्दनाक दास्ताँ : भाग-1
हरियाणा के किसानों की दर्दनाक दास्ताँ : भाग-2 : A
हरियाणा के किसानों की दर्दनाक दास्ताँ : भाग-2 : A
हरियाणा में जिन्दगी की जंग हारने वाले अन्नदाता!
गत अप्रैल माह में जिन्दगी की जंग हारने वाले अन्नदाताओं की सूची (संकलन : राजेश कश्यप) इस प्रकार है :-
1. सोमबीर (28 वर्ष) गुढ़ाण रोहतक आत्महत्या : 5 लाख का कर्ज उठाकर 20,000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से 18 एकड़ जमीन ठेके पर ली हुई थी। ट्रैक्टर लोन पर था। एक साल पहले कर्ज कम करने के लिए ट्रैक्टर और आधा एकड़ जमीन तक बेचनी पड़ी थी। फिलहाल, गेहूँ की लहलहाती फसल ने कर्ज से मुक्ति की उम्मीदें जगाईं हुईं थी। लेकिन, फसल की बर्बाद से वह एकदम टूट गया और हताश-निराश होकर जहर निगल कर आत्महत्या कर ली।
2. जयकुवार (35 वर्ष) अजायब रोहतक हृदयघात : हरवर्ष ठेके पर जमीन लेकर खेती करते थे। इस बार 22000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से 6 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर गेहूँ की फसल लगाई हुई थी। बर्बाद हुई फसल से दिल पर गहरा आघात लगा और मौके पर ही मौत हो गई। उसके पीछे पत्नी व मासूम दो बेटी एवं एक बेटे का जीवन संकट में पड़ गया है।
3. प्रताप (80 वर्ष) भैंसरू खुर्द रोहतक आत्महत्या : 20 मन प्रति एकड़ के हिसाब से बारह एकड़ जमीन बंटाई पर लेकर गेहूँ की फसल लगा रखी थी। सम्पूर्ण फसल की बर्बादी को सहन नहीं कर पाया और जहरीला पदार्थ खाकर मौत को गले लगा लिया।
4. कुलदीप (28 वर्ष) भाली रोहतक आत्महत्या : फसल की बर्बादी ने कई दिन तक परेशान रखा। जब दिमागी परेशानी हद से गुजरी तो घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
5. राजकुमार पबनावा कैथल हृदयघात : गेहूँ कटाई के दौरान फसल की तबाही की भरपाई न होते देख एकाएक सीने में दर्द उठा। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
6. गजे सिंह (48 वर्ष) रोहेड़ा कैथल हृदयघात : खेतों में फसल का मुआयना करने गया था। फसल की बर्बादी से गहरा सदमा लगा और हृदयघात से मौके पर ही मौत हो गई।
7. कृष्ण सैनी (36 वर्ष) खानपुर कैथल हृदयघात : आठ एकड़ में गेहूँ की फसल बोई थी, जिसमें कुछ जमीन ठेके पर ली हुई थी। एक आढ़ती का 4 लाख रूपये का ऋण सिर था। फसल बर्बाद हुई तो सीने में उठे दर्द को झेल नहीं पाया। अस्पताल में मौत हो गई।
8. गोर्वधन (62 वर्ष) मांडी पानीपत हृदयघात : दस साल पहले हादसे में एक हाथ गंवाने के बाद खेती करना शुरू किया था। इस समय छह बीघे जमीन पर गेहूँ की फसल लगाई रखी थी। फसल की बर्बादी ने अन्दर तक तोड़ दिया। जैसे-तैसे कटाई की और जब थ्रेसिंग के दौरान नाममात्र गेहूँ निकला तो गेहूँ की ढ़ेरी पर निढ़ाल होकर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
9. सतबीर (38 वर्ष) देहरा पानीपत आत्महत्या : डेढ़ एकड़ गेहूँ की फसल बर्बाद हो गई। गेहूँ कटाई के दौरान निराशा के गहरे भंवर में फंस गया और कटाई के दौरान ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
10. राजपाल मंगलपुर जीन्द हृदयघात : फसल की बर्बाद से बेहद टूट चुका था। बची-खुची गेहूँ को मंडी में बेचकर घर लौटा था। बेहद कम आमदनी को देखकर सदमा खा गया और हार्टअटैक से मौत हो गई।
11. राजेराम (55 वर्ष) शामलोकलां जीन्द आत्महत्या : 6 एकड़ जमीन पर लगी गेहूँ की फसल की तबाही को बर्दास्त नहीं कर पाया और घर पर फन्दा लगाकर अपनी जान दे दी।
12. कृष्ण (50 वर्ष) खरैन्टी जीन्द आत्महत्या : 60 एकड़ जमीन पर गेहूँ की बहुत बढिय़ा फसल लगी थी। इसमें महंगी दर पर 45 एकड़ जमीन ठेके पर ली गई थी। लेकिन, फसल की बर्बादी ने उन्हीं खेतों के बीच पेड़ पर फन्दा लगाकर जान देने को बाध्य कर दिया।
13. सुरेश (35 वर्ष) अलेवा जीन्द हृदयघात : फसल बर्बाद होने के सदमे से ऊबर नहीं पाया और हार्टअटैक का शिकार हो गया।
14. मोजीराम अनूपगढ़ जीन्द हृदयघात : चार एकड़ बर्बाद हुई फसल से गहरा धक्का लगा और खेत में ही काम करते हुए दम तोड़ गया।
15. मांगेराम (57 वर्ष) ढ़ाढऱथ जीन्द हृदयघात : दस एकड़ जमीन पर फसल लगाई थी। चार एकड़ आग लगने से स्वाह हो चुकी थी। फसल की बर्बादी ने बेहद परेशान किया हुआ था। स्थानीय मण्डी में गेहूँ बेचने के लिए गया हुआ था तो अचानक हार्टअटैक आया और मौके पर ही मोत हो गई।
16. पवन मुआना जीन्द हृदयघात : ठेके पर जमीन लेकर खेती से जीवन-निर्वाह चल रहा था। तीन एकड़ जमीन 35,000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से ले रखी थी। फसल की बर्बादी ने ऐसा सदमा पहुँचाया कि हार्टअटैक से मौत हो गई। इससे पहले धान की फसल भी तबाह हो चुकी थी। अब दो साल का बच्चा और अपाहिज पत्नी दाने-दाने का मोहताज हो गये हैं।
17. राजेश (32 वर्ष) पिंडारा जीन्द आत्महत्या : दो एकड़ जमीन 38000 प्रति एकड़ के हिसाब से गेहूँ की फसल लगाई थी। काफी कम गेहूँ निकला तो परेशान हो उठा। जब गेहूँ बेचने मण्डी में ले गया तो वह बिक नहीं पाई। इसके बाद फांसी के फंदे पर लटकने के सिवाया अन्य कोई रास्ता नजर नहीं आया।
18. राजेश घोघडिय़ा जीन्द हृदयघात : 29000 रूपये प्रति एकड़ गेहूँ की फसल बड़े सपने लेकर उगाई थी। बर्बाद हुई फसल का नुकसान अधिक दिनों तक झेल नहीं पाया। खेत में ट्रैक्टर लेकर काम करने गया तो अचानक सिने में दर्द उठा। अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
19. बिजेन्द्र सिंह भनकपुर फरीदाबाद हृदयघात : एक तो फसल बर्बादी ने काफी परेशानियां बढ़ा रखीं थी और दूसरे बची हुई फसल को मार्केट कमेटी द्वारा न खरीदे जाने के सदमे ने उसकी जान ले ली।
20. नेपाल सिंह (58 वर्ष) बल्लभगढ़ फरीदाबाद हृदयघात : यमुना की खादर में चार एकड़ जमीन पर गेहूँ की बढिय़ा फसल देखकर कर्ज चुकता करने का सपना बर्बाद हुई फसल ने चकनाचूर कर दिया। बर्बाद फसल का दर्द सीने में उठा। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
21. सुरेन्द (52 वर्ष) पाजु भिवानी आत्महत्या : एक तो गतवर्ष सूखे का मुआवजा नहीं मिला था और दूसरा बेमौसमी बारिश एवं ओलावृष्टि ने गेहूँ की फसल तबाह करके रख दी। इस दोहरी मार को वह सह नहीं पाया और गाँव के ही एक कुँए में कूदकर अपनी जान दे दी।
22. जयलाल (65 वर्ष) लाड भिवानी हृदयघात : गेहूँ और जौ की फसल बहुत कम निकली तो खेत में ही हाटैअटैक आ गया और मौके पर ही मौत हो गई।
23. रणधीर लाड भिवानी हृदयघात फसल की भयंकर बर्बाद को देखकर भारी सदमा लगा और हृदयघात से मौत हो गई।
24. फूलवती (66 वर्ष) छिकाड़ा भिवानी हृदयघात : फसल की भारी बर्बादी देखकर दिल का दौरा पड़ा। उसे अस्पताल में दाखिल करवाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
25. कृष्ण श्यामकलां भिवानी हृदयघात : थ्रेसिंग के दौरान उम्मीद एवं लागत के मुताबिक गेहूँ नहीं निकली तो हार्टअटैक आ गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
26. बलवन्त (65 वर्ष) मुंढ़ाल भिवानी हृदयघात : 35000 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से 10 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर गेहूँ उगाई थी। बैंक का 50,000 रूपये कर्ज सिर पर था। इससे पहले कपास की फसल चौपट हो चुकी थी। उसका कर्ज भी सिर पर था। पिछली फसल का मुआवजा भी अभी तक नहीं मिला था। कर्ज का मर्ज ऐसा बढ़ा कि हार्टअटैक से जान चली गई।
27. यशपाल (56 वर्ष) रेवाड़ीखेड़ा भिवानी हृदयघात : दो एकड़ जमीन ठेके पर लेकर कपास उगाई थी। लेकिन वह तबाह हो गई। इसके बाद गेहूँ की फसल लगाई तो वह भी 80 फीसदी बर्बाद हो गई। बर्बाद फसल को देखकर जैसे ही घर लौटे हार्टअटेक के कारण मौत हो गई।
28. रणवीर (39 वर्ष) मुंढ़ाल भिवानी हृदयघात : फसल की बर्बाद का सदमा न झेल पाने के कारण हृदयगति जवाब दे गई और मौके पर ही मौत हो गई।
29. नरेश (46 वर्ष) चांग ढ़ाणी भिवानी हृदयघात : 30,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से 12 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर गेहूँ उगाया था। सोसायटी का कर्ज सिर पर था। बर्बाद हुई फसल को देखने खेतों में गया तो एकाएक हृदयगति रूक गई और मौके पर ही मौत हो गई।
30. जागेराम (70 वर्ष) बड़ेसरा भिवानी हृदयघात : आठ एकड़ जमीन पर फसल लहलहा रही थी। फसल की बर्बादी देखकर हार्टअटैक आ गया। बेटे के कैंसर की परेशान भी बनी हुई थी।
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