हम आजाद हैं!
हर तरह से आजाद!!
पैरों में चप्पल-जूतों का भी बन्धन नहीं!
सिर ढ़कने वाले घर-छप्पर-भवन नहीं!!
शिक्षा के सूत्रों से एकदम मुक्त!
सरकारी कागजों से बिल्कुल लुप्त!!
सपनों का भी बोझ नहीं!
कोई ठौर-ठिकाना खोज नहीं!!
व्यंजन और मनोंरंजन का है सूनापन!
कपड़ों के भी आधीन नहीं है पूरा बदन!!
सुबह-शाम की भी कोई फिक्र नहीं!
आज यहाँ तो कल कहीं!!
दु:ख-सुख से हैं कोसों दूर!
मानस-पत्थर जो ठहरे हुजूर!!
हमारी किसी को नहीं कोई परवाह!
अजीब है आजादी, वाह भई वाह!!
हमें तो बस है एक ही दर्द!
कोई पूछने चला आया हमसे, आजादी का अर्थ!!
-(राजेश कश्यप)
टिटौली (रोहतक) हरियाणा-१२४००५
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